Tuesday 25 December 2018

Friday 21 December 2018

Play school kanoon

Rराष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीइआरटी) ने विगत मई में नियम बनाया था कि कोई स्कूल प्री-नर्सरी में तीन साल से कम उम्र के बच्चों को दाखिला नहीं देगा। इसके बावजूद हरियाणा में बड़ी संख्या में प्ले स्कूलों के अलावा मान्यता प्राप्त निजी स्कूल ऐसे हैं जहां दो-ढाई साल के बच्चों को एडमिशन दे दिया गया। शिक्षा विभाग के पास लगातार इसकी शिकायतें पहुंच रही हैं।

इस पर संज्ञान लेते हुए प्रदेश सरकार ने हाल ही में प्ले स्कूलों को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के दायरे में लाने की व्यवस्था कर दी। इसका फायदा यह होगा कि सभी प्ले स्कूलों की मान्यता हर साल रिन्यू होगी और बच्चों की फीस भी सरकार निर्धारित करेगी। नियमों पर खरा नहीं उतरने वाले प्ले स्कूलों को बंद कराया जाएगा।


अब शिक्षा निदेशक ने सभी डीईईओ और बीईईओ को लिखित आदेश जारी किया है कि पूर्व प्राथमिक शिक्षा दो साल से अधिक नहीं हो सकती, इसलिए स्कूलों में छापामारी कर तीन साल से कम उम्र के बच्चों को दाखिला दे रहे स्कूलों पर सख्त कार्रवाई की जाए।


जिला कार्यक्रम अधिकारी बंद कराएंगे फर्जी प्ले-स्कूल


महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक ने सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों को फर्जी प्ले स्कूलों को बंद कराने का निर्देश दिया है। मौजूदा समय में कोई निर्धारित मापदंड या पॉलिसी नहीं होने के चलते शहरों में कुकुरमुत्तों की तरह प्ले स्कूल खुलते चले गए। मामला हाईकोर्ट में पहुंचा जिसके बाद अदालत ने बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर प्ले स्कूलों के लिए गाइड लाइन बनाने के निर्देश दिए।


अब प्रदेश सरकार ने प्ले स्कूलों के लिए गाइडलाइन जारी कर दी हैं। प्ले स्कूल चलाने के लिए पहले जिला कार्यक्रम अधिकारी के पास आवेदन करना होगा। इसके बाद संबंधित सीडीपीओ के साथ अफसरों की टीम स्कूल का निरीक्षण करेगी और सभी मानक पूरे होने पर एक साल की मान्यता दी जाएगी। हर साल इन स्कूलों को नए सिरे से मान्यता रिन्यू करानी होगी।




Sunday 16 December 2018

64 कलाएं


64 कलाओं में महारत थे श्री कृष्ण (64 Kalas of Lord Shri Krishna)

AUGUST 12, 2014 BY PANKAJ GOYAL LEAVE A COMMENT

  

 

 

 

64 Kalas of Lord Shri Krishna : श्री कृष्ण अपनी शिक्षा ग्रहण करने आवंतिपुर (उज्जैन) गुरु सांदीपनि के आश्रम में गए थे जहाँ वो मात्र 64 दिन रह थे। वहां पर उन्होंने ने मात्र 64 दिनों में ही अपने गुरु से 64 कलाओं की शिक्षा हासिल कर ली थी। हालांकि श्री कृष्ण भगवान के अवतार थे और यह कलाएं उन को पहले से ही आती थी। पर चुकी उनका जन्म एक साधारण मनुष्य के रूप में हुआ था इसलिए उन्होंने गुरु के पास जाकर यह पुनः सीखी।



निम्न 64 कलाओं में पारंगत थे श्रीकृष्ण

1- नृत्य – नाचना
2- वाद्य- तरह-तरह के बाजे बजाना
3- गायन विद्या – गायकी।
4- नाट्य – तरह-तरह के हाव-भाव व अभिनय
5- इंद्रजाल- जादूगरी
6- नाटक आख्यायिका आदि की रचना करना
7- सुगंधित चीजें- इत्र, तेल आदि बनाना
8- फूलों के आभूषणों से श्रृंगार करना
9- बेताल आदि को वश में रखने की विद्या
10- बच्चों के खेल
11- विजय प्राप्त कराने वाली विद्या
12- मन्त्रविद्या
13- शकुन-अपशकुन जानना, प्रश्नों उत्तर में शुभाशुभ बतलाना
14- रत्नों को अलग-अलग प्रकार के आकारों में काटना
15- कई प्रकार के मातृका यन्त्र बनाना
16- सांकेतिक भाषा बनाना
17- जल को बांधना।
18- बेल-बूटे बनाना
19- चावल और फूलों से पूजा के उपहार की रचना करना। (देव पूजन या अन्य शुभ मौकों पर कई रंगों से रंगे चावल, जौ आदि चीजों और फूलों को तरह-तरह से सजाना)
20- फूलों की सेज बनाना।
21- तोता-मैना आदि की बोलियां बोलना – इस कला के जरिए तोता-मैना की तरह बोलना या उनको बोल सिखाए जाते हैं।
22- वृक्षों की चिकित्सा
23- भेड़, मुर्गा, बटेर आदि को लड़ाने की रीति
24- उच्चाटन की विधि
25- घर आदि बनाने की कारीगरी
26- गलीचे, दरी आदि बनाना
27- बढ़ई की कारीगरी
28- पट्टी, बेंत, बाण आदि बनाना यानी आसन, कुर्सी, पलंग आदि को बेंत आदि चीजों से बनाना।
29- तरह-तरह खाने की चीजें बनाना यानी कई तरह सब्जी, रस, मीठे पकवान, कड़ी आदि बनाने की कला।
30- हाथ की फूर्ती के काम
31- चाहे जैसा वेष धारण कर लेना
32- तरह-तरह पीने के पदार्थ बनाना
33- द्यू्त क्रीड़ा
34- समस्त छन्दों का ज्ञान
35- वस्त्रों को छिपाने या बदलने की विद्या
36- दूर के मनुष्य या वस्तुओं का आकर्षण
37- कपड़े और गहने बनाना
38- हार-माला आदि बनाना
39- विचित्र सिद्धियां दिखलाना यानी ऐसे मंत्रों का प्रयोग या फिर जड़ी-बुटियों को मिलाकर ऐसी चीजें या औषधि बनाना जिससे शत्रु कमजोर हो या नुकसान उठाए।
40-कान और चोटी के फूलों के गहने बनाना – स्त्रियों की चोटी पर सजाने के लिए गहनों का रूप देकर फूलों को गूंथना।
41- कठपुतली बनाना, नाचना
42- प्रतिमा आदि बनाना
43- पहेलियां बूझना
44- सूई का काम यानी कपड़ों की सिलाई, रफू, कसीदाकारी व मोजे, बनियान या कच्छे बुनना।
45 – बालों की सफाई का कौशल
46- मुट्ठी की चीज या मनकी बात बता देना
47- कई देशों की भाषा का ज्ञान
48 – मलेच्छ-काव्यों का समझ लेना – ऐसे संकेतों को लिखने व समझने की कला जो उसे जानने वाला ही समझ सके।
49 – सोने, चांदी आदि धातु तथा हीरे-पन्ने आदि रत्नों की परीक्षा
50 – सोना-चांदी आदि बना लेना
51 – मणियों के रंग को पहचानना
52- खानों की पहचान
53- चित्रकारी
54- दांत, वस्त्र और अंगों को रंगना
55- शय्या-रचना
56- मणियों की फर्श बनाना यानी घर के फर्श के कुछ हिस्से में मोती, रत्नों से जड़ना।
57- कूटनीति
58- ग्रंथों को पढ़ाने की चातुराई
59- नई-नई बातें निकालना
60- समस्यापूर्ति करना
61- समस्त कोशों का ज्ञान
62- मन में कटक रचना करना यानी किसी श्लोक आदि में छूटे पद या चरण को मन से पूरा करना।
63-छल से काम निकालना
64- कानों के पत्तों की रचना करना यानी शंख, हाथीदांत सहित कई तरह के कान के गहने तैयार करना।

भारत के मंदिरों के बारे में यहाँ पढ़े –   भारत के अदभुत मंदिर
सम्पूर्ण पौराणिक कहानियाँ यहाँ पढ़े – पौराणिक कथाओं का विशाल संग्रह

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क्यों हुआ अर्जुन और श्री कृष्ण में युद्ध?


Tag : Hindi, News, Story, History, Kahani, Katha, Shri Krishna, 64 kala, 64 kalayen, Hindu Mythology, 64 kalas of Shri krishan, Chausath kalas of Lord Shri Krishana, श्री कृष्ण की 64 कलाएं, 64 कला , क्या है 64 कलाएं , 64 कलाओं की सम्पूर्ण जानकारी

  

 

 

 

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जरूर पढ़े ज़िन्दगी को बदलने वाली ये पुस्तकें 64 कलाओं में महारत थे श्री कृष्ण (64 Kalas of Lord Shri Krishna) AUGUST 12, 2014 BY PANKAJ GOYAL LEAVE A COMMENT   64 Kalas of Lord Shri Krishna : श्री कृष्ण अपनी शिक्षा ग्रहण करने आवंतिपुर (उज्जैन) गुरु सांदीपनि के आश्रम में गए थे जहाँ वो मात्र 64 दिन रह थे। वहां पर उन्होंने ने मात्र 64 दिनों में ही अपने गुरु से 64 कलाओं की शिक्षा हासिल कर ली थी। हालांकि श्री कृष्ण भगवान के अवतार थे और यह कलाएं उन को पहले से ही आती थी। पर चुकी उनका जन्म एक साधारण मनुष्य के रूप में हुआ था इसलिए उन्होंने गुरु के पास जाकर यह पुनः सीखी। निम्न 64 कलाओं में पारंगत थे श्रीकृष्ण 1- नृत्य – नाचना 2- वाद्य- तरह-तरह के बाजे बजाना 3- गायन विद्या – गायकी। 4- नाट्य – तरह-तरह के हाव-भाव व अभिनय 5- इंद्रजाल- जादूगरी 6- नाटक आख्यायिका आदि की रचना करना 7- सुगंधित चीजें- इत्र, तेल आदि बनाना 8- फूलों के आभूषणों से श्रृंगार करना 9- बेताल आदि को वश में रखने की विद्या 10- बच्चों के खेल 11- विजय प्राप्त कराने वाली विद्या 12- मन्त्रविद्या 13- शकुन-अपशकुन जानना, प्रश्नों उत्तर में शुभाशुभ बतलाना 14- रत्नों को अलग-अलग प्रकार के आकारों में काटना 15- कई प्रकार के मातृका यन्त्र बनाना 16- सांकेतिक भाषा बनाना 17- जल को बांधना। 18- बेल-बूटे बनाना 19- चावल और फूलों से पूजा के उपहार की रचना करना। (देव पूजन या अन्य शुभ मौकों पर कई रंगों से रंगे चावल, जौ आदि चीजों और फूलों को तरह-तरह से सजाना) 20- फूलों की सेज बनाना। 21- तोता-मैना आदि की बोलियां बोलना – इस कला के जरिए तोता-मैना की तरह बोलना या उनको बोल सिखाए जाते हैं। 22- वृक्षों की चिकित्सा 23- भेड़, मुर्गा, बटेर आदि को लड़ाने की रीति 24- उच्चाटन की विधि 25- घर आदि बनाने की कारीगरी 26- गलीचे, दरी आदि बनाना 27- बढ़ई की कारीगरी 28- पट्टी, बेंत, बाण आदि बनाना यानी आसन, कुर्सी, पलंग आदि को बेंत आदि चीजों से बनाना। 29- तरह-तरह खाने की चीजें बनाना यानी कई तरह सब्जी, रस, मीठे पकवान, कड़ी आदि बनाने की कला। 30- हाथ की फूर्ती के काम 31- चाहे जैसा वेष धारण कर लेना 32- तरह-तरह पीने के पदार्थ बनाना 33- द्यू्त क्रीड़ा 34- समस्त छन्दों का ज्ञान 35- वस्त्रों को छिपाने या बदलने की विद्या 36- दूर के मनुष्य या वस्तुओं का आकर्षण 37- कपड़े और गहने बनाना 38- हार-माला आदि बनाना 39- विचित्र सिद्धियां दिखलाना यानी ऐसे मंत्रों का प्रयोग या फिर जड़ी-बुटियों को मिलाकर ऐसी चीजें या औषधि बनाना जिससे शत्रु कमजोर हो या नुकसान उठाए। 40-कान और चोटी के फूलों के गहने बनाना – स्त्रियों की चोटी पर सजाने के लिए गहनों का रूप देकर फूलों को गूंथना। 41- कठपुतली बनाना, नाचना 42- प्रतिमा आदि बनाना 43- पहेलियां बूझना 44- सूई का काम यानी कपड़ों की सिलाई, रफू, कसीदाकारी व मोजे, बनियान या कच्छे बुनना। 45 – बालों की सफाई का कौशल 46- मुट्ठी की चीज या मनकी बात बता देना 47- कई देशों की भाषा का ज्ञान 48 – मलेच्छ-काव्यों का समझ लेना – ऐसे संकेतों को लिखने व समझने की कला जो उसे जानने वाला ही समझ सके। 49 – सोने, चांदी आदि धातु तथा हीरे-पन्ने आदि रत्नों की परीक्षा 50 – सोना-चांदी आदि बना लेना 51 – मणियों के रंग को पहचानना 52- खानों की पहचान 53- चित्रकारी 54- दांत, वस्त्र और अंगों को रंगना 55- शय्या-रचना 56- मणियों की फर्श बनाना यानी घर के फर्श के कुछ हिस्से में मोती, रत्नों से जड़ना। 57- कूटनीति 58- ग्रंथों को पढ़ाने की चातुराई 59- नई-नई बातें निकालना 60- समस्यापूर्ति करना 61- समस्त कोशों का ज्ञान 62- मन में कटक रचना करना यानी किसी श्लोक आदि में छूटे पद या चरण को मन से पूरा करना। 63-छल से काम निकालना 64- कानों के पत्तों की रचना करना यानी शंख, हाथीदांत सहित कई तरह के कान के गहने तैयार करना। भारत के मंदिरों के बारे में यहाँ पढ़े –   भारत के अदभुत मंदिर सम्पूर्ण पौराणिक कहानियाँ यहाँ पढ़े – पौराणिक कथाओं का विशाल संग्रह भगवान श्री कृष्ण से सम्बंधित अन्य लेख पौराणिक गाथा- क्यों पिया श्री कृष्ण ने राधा के पैरों का चरणामृत महाभारत युद्ध में कौरवों का विनाश करने के लिए श्री कृष्ण को क्यों उठाना पड़ा था सुदर्शन चक्र? श्री कृष्ण ने क्यों किया कर्ण का अंतिम संस्कार अपने ही हाथों पर?, जानिए कर्ण से जुडी कुछ ऐसी ही रोचक बातें । रहस्यमयी और अलौकिक निधिवन – यहाँ आज भी राधा संग रास रचाते है कृष्ण, जो भी देखता है हो जाता है पागल क्यों हुआ अर्जुन और श्री कृष्ण में युद्ध? Tag : Hindi, News, Story, History, Kahani, Katha, Shri Krishna, 64 kala, 64 kalayen, Hindu Mythology, 64 kalas of Shri krishan, Chausath kalas of Lord Shri Krishana, श्री कृष्ण की 64 कलाएं, 64 कला , क्या है 64 कलाएं , 64 कलाओं की सम्पूर्ण जानकारी   Related Posts: Karna and Shri krishna Story : जब अर्जुन की जान बचाने के लिए श्री कृष्ण और इंद्र ने किया कर्ण के साथ छल Jambavan-Shri Krishna Yudh: क्यों होता है जामवंत और श्री कृष्ण युद्ध के बीच युद्ध Krishna Arjun Kurukshetra War- क्यों हुआ अर्जुन और श्री कृष्ण में युद्ध? पौराणिक कथा- जानिए क्यों भगवान श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से जला कर भस्म कर दिया था काशी को ? Shri krishna ki mrityu kaise hui : कैसे खत्म हुआ श्रीकृष्ण सहित पूरा यदुवंश? जानिए श्री कृष्ण की 8 पत्नियों और 80 पुत्रों के बारे में भगवान श्री कृष्ण के जीवन की 10 प्रमुख घटनाएं और उनसे जुड़े अमूल्य सबक श्री कृष्ण और दुर्योधन थे समधी श्री कृष्ण ने किया था एकलव्य का वध, मगर क्यों? श्री कृष्ण ने किए थे 8 विवाह, जानिए उनकी कहानियां वनवास काल में महाराज युधिष्ठिर को श्री कृष्ण ने दी राम नाम की दीक्षा कोकिलावन – यहाँ कोयल बन दर्शन दिए थे, श्री कृष्ण ने शनिदेव को महाभारत युद्ध में पांण्डवों को जिताने के लिए श्री कृष्ण ने किये ये छल भगवान श्री कृष्ण द्वारा मारे गये धेनुकासुर के पूर्व जन्म की कथा पौराणिक गाथा- क्यों पिया श्री कृष्ण ने राधा के पैरों का चरणामृत   FILED UNDER: RELIGION TAGGED WITH: SHRI KRISHNA « 100 Quotes of Plato in Hindi (प्लेटो के 100 अनमोल विचार)वर्ल्ड टॉप 20 यूनिवर्सिटीज : World’s Top 20 Universities » JOIN THE DISCUSSION! Please submit your comment with a real name. Comment Thanks for your feedback! Name * Email * Website This site uses Akismet to reduce spam. 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