Wednesday 30 May 2018

Shani chalisha

श्री शनि Chalisha

॥दोहा॥

जय गणेश गिरिजा सुवनमंगल करण कृपाल

दीनन के दुःख दूर करि, कीजै नाथ निहाल

जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज

करहु कृपा हे रवि तनयराखहु जन की लाज

हे माता पार्वती के पुत्र भगवान श्री गणेश, आपकी जय हो। आप कल्याणकारी है, सब पर कृपा करने वाले हैं, दीन लोगों के दुख दुर कर उन्हें खुशहाल करें भगवन। हे भगवान श्री शनिदेव जी आपकी जय हो, हे प्रभु, हमारी प्रार्थना सुनें, हे रविपुत्र हम पर कृपा करें व भक्तजनों की लाज रखें।

 

चौपाई

जयति जयति शनिदेव दयाला। करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥

चारि भुजा, तनु श्याम विराजै। माथे रतन मुकुट छवि छाजै॥

परम विशाल मनोहर भाला। टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥

कुण्डल श्रवण चमाचम चमके। हिये माल मुक्तन मणि दमके॥

कर में गदा त्रिशूल कुठारा। पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥

हे दयालु शनिदेव महाराज आपकी जय हो, आप सदा भक्तों के रक्षक हैं उनके पालनहार हैं। आप श्याम वर्णीय हैं व आपकी चार भुजाएं हैं। आपके मस्तक पर रतन जड़ित मुकुट आपकी शोभा को बढा रहा है। आपका बड़ा मस्तक आकर्षक है, आपकी दृष्टि टेढी रहती है ( शनिदेव को यह वरदान प्राप्त हुआ था कि जिस पर भी उनकी दृष्टि पड़ेगी उसका अनिष्ट होगा इसलिए आप हमेशा टेढी दृष्टि से देखते हैं ताकि आपकी सीधी दृष्टि से किसी का अहित न हो)। आपकी भृकुटी भी विकराल दिखाई देती है। आपके कानों में सोने के कुंडल चमचमा रहे हैं। आपकी छाती पर मोतियों व मणियों का हार आपकी आभा को और भी बढ़ा रहा है। आपके हाथों में गदा, त्रिशूलकुठार हैं, जिनसे आप पल भर में शत्रुओं का संहार करते हैं।

 

पिंगलकृष्णों, छाया, नन्दनयमकोणस्थरौद्रदुःख भंजन

सौरी, मन्दशनि, दशनामा। भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥

जा पर प्रभु प्रसन्न है जाहीं। रंकहुं राव करैं क्षण माहीं॥

पर्वतहू तृण होई निहारत। तृणहू को पर्वत करि डारत

पिंगल, कृष्ण, छाया नंदन, यम, कोणस्थ, रौद्र, दु:ख भंजन, सौरी, मंद, शनि ये आपके दस नाम हैं। हे सूर्यपुत्र आपको सब कार्यों की सफलता के लिए पूजा जाता है। क्योंकि जिस पर भी आप प्रसन्न होते हैं, कृपालु होते हैं वह क्षण भर में ही रंक से राजा बन जाता है। पहाड़ जैसी समस्या भी उसे घास के तिनके सी लगती है लेकिन जिस पर आप नाराज हो जांए तो छोटी सी समस्या भी पहाड़ बन जाती है।

 

राज मिलत वन रामहिं दीन्हो। कैकेइहुं की मति हरि लीन्हो॥

बनहूं में मृग कपट दिखाई। मातु जानकी गई चतुराई

लखनहिं शक्ति विकल करिडारा। मचिगा दल में हाहाकारा॥

रावण की गति मति बौराईरामचन्द्र सों बैर बढ़ाई

दियो कीट करि कंचन लंका। बजि बजरंग बीर की डंका॥

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा। चित्र मयूर निगलि गै हारा॥

हार नौलाखा लाग्यो चोरी। हाथ पैर डरवायो तोरी॥

भारी दशा निकृष्ट दिखायो। तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥

विनय राग दीपक महँ कीन्हों। तब प्रसन्न प्रभु हवै सुख दीन्हों॥

हे प्रभु आपकी दशा के चलते ही तो राज के बदले भगवान श्री राम को भी वनवास मिला था। आपके प्रभाव से ही केकैयी ने ऐसा बुद्धि हीन निर्णय लिया। आपकी दशा के चलते ही वन में मायावी मृग के कपट को माता सीता पहचान न सकी और उनका हरण हुआ। उनकी सूझबूझ भी काम नहीं आयी। आपकी दशा से ही लक्ष्मण के प्राणों पर संकट आन खड़ा हुआ जिससे पूरे दल में हाहाकार मच गया था। आपके प्रभाव से ही रावण ने भी ऐसा बुद्धिहीन कृत्य किया व प्रभु श्री राम से शत्रुता बढाई। आपकी दृष्टि के कारण बजरंग बलि हनुमान का डंका पूरे विश्व में बजा व लंका तहस-नहस हुई। आपकी नाराजगी के कारण राजा विक्रमादित्य को जंगलों में भटकना पड़ा। उनके सामने हार को मोर के चित्र ने निगल लिया व उन पर हार चुराने के आरोप लगे। इसी नौलखे हार की चोरी के आरोप में उनके हाथ पैर तुड़वा दिये गये। आपकी दशा के चलते ही विक्रमादित्य को तेली के घर कोल्हू चलाना पड़ा। लेकिन जब दीपक राग में उन्होंनें प्रार्थना की तो आप प्रसन्न हुएफिर से उन्हें सुख समृद्धि से संपन्न कर दिया।

 

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी। आपहुं भरे डोम घर पानी॥

तैसे नल पर दशा सिरानी। भूंजी-मीन कूद गई पानी॥

श्री शंकरहि गहयो जब जाई। पार्वती को सती कराई

तनिक विलोकत ही करि रीसा। नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी। बची द्रोपदी होति उधारी॥

कौरव के भी गति मति मारयो। युद्ध महाभारत करि डारयो॥

रवि कहं मुख महं धरि तत्काला। लेकर कूदि परयो पाताला॥

शेष देव-लखि विनती लाई। रवि को मुख ते दियो छुड़ई

आपकी दशा पड़ने पर राजा हरिश्चंद्र की स्त्री तक बिक गई, स्वयं को भी डोम के घर पर पानी भरना पड़ा। उसी प्रकार राजा नल व रानी दयमंती को भी कष्ट उठाने पड़े, आपकी दशा के चलते भूनी हुई मछली तक वापस जल में कूद गई और राजा नल को भूखों मरना पड़ा। भगवान शंकर पर आपकी दशा पड़ी तो माता पार्वती को हवन कुंड में कूदकर अपनी जान देनी पड़ी। आपके कोप के कारण ही भगवान गणेश का सिर धड़ से अलग होकर आकाश में उड़ गया। पांडवों पर जब आपकी दशा पड़ी तो द्रौपदी वस्त्रहीन होते होते बची। आपकी दशा से कौरवों की मति भी मारी गयी जिसके परिणाम में महाभारत का युद्ध हुआ। आपकी कुदृष्टि ने तो स्वयं अपने पिता सूर्यदेव को नहीं बख्शा व उन्हें अपने मुख में लेकर आप पाताल लोक में कूद गए। देवताओं की लाख विनती के बाद आपने सूर्यदेव को अपने मुख से आजाद किया।

 

वाहन प्रभु के सात सुजाना। दिग्ज हय गर्दभ मृग स्वाना॥

जम्बुक सिंह आदि नख धारी। सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं। हय ते सुख सम्पत्ति उपजावै॥

गर्दभ हानि करै बहु काजा। सिंह सिद्धकर राज समाजा॥

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै। मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥

जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी। चोरी आदि होय डर भारी॥

तैसहि चारि चरण यह नामा। स्वर्ण लौह चाँजी अरु तामा॥

लौह चरण पर जब प्रभु आवैं। धन जन सम्पत्ति नष्ट करावै॥

समता ताम्र रजत शुभकारी। स्वर्ण सर्वसुख मंगल कारी॥

हे प्रभु आपके सात वाहन हैं। हाथी, घोड़ा, गधा, हिरण, कुत्ता, सियार और शेर जिस वाहन पर बैठकर आप आते हैं उसी प्रकार ज्योतिष आपके फल की गणना करता है। यदि आप हाथी पर सवार होकर आते हैं घर में लक्ष्मी आती है। यदि घोड़े पर बैठकर आते हैं तो सुख संपत्ति मिलती है। यदि गधा आपकी सवारी हो तो कई प्रकार के कार्यों में अड़चन आती है, वहीं जिसके यहां आप शेर पर सवार होकर आते हैं तो आप समाज में उसका रुतबा बढाते हैं, उसे प्रसिद्धि दिलाते हैं। वहीं सियार आपकी सवारी हो तो आपकी दशा से बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है व यदि हिरण पर आप आते हैं तो शारीरिक व्याधियां लेकर आते हैं जो जानलेवा होती हैं। हे प्रभु जब भी कुत्ते की सवारी करते हुए आते हैं तो यह किसी बड़ी चोरी की और ईशारा करती है। इसी प्रकार आपके चरण भी सोना, चांदी, तांबा व लोहा आदि चार प्रकार की धातुओं के हैं। यदि आप लौहे के चरण पर आते हैं तो यह धन, जन या संपत्ति की हानि का संकेतक है। वहीं चांदी व तांबे के चरण पर आते हैं तो यह सामान्यत शुभ होता है, लेकिन जिनके यहां भी आप सोने के चरणों में पधारते हैं, उनके लिये हर लिहाज से सुखदायक व कल्याणकारी होते है।

 

जो यह शनि चरित्र नित गावै। कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥

अदभुत नाथ दिखावैं लीला। करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥

जो पण्डित सुयोग्य बुलवाईविधिवत शनि ग्रह शांति कराई

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावतदीप दान दै बहु सुख पावत

कहत राम सुन्दर प्रभु दासा। शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥

जो भी इस शनि चरित्र को हर रोज गाएगा उसे आपके कोप का सामना नहीं करना पड़ेगा, आपकी दशा उसे नहीं सताएगी। उस पर भगवान शनिदेव महाराज अपनी अद्भुत लीला दिखाते हैं व उसके शत्रुओं को कमजोर कर देते हैं। जो कोई भी अच्छे सुयोग्य पंडित को बुलाकार विधि व नियम अनुसार शनि ग्रह को शांत करवाता है। शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष को जल देता है व दिया जलाता है उसे बहुत सुख मिलता है। प्रभु शनिदेव का दास रामसुंदर भी कहता है कि भगवान शनि के सुमिरन सुख की प्राप्ति होती है व अज्ञानता का अंधेरा मिटकर ज्ञान का प्रकाश होने लगता है।

 

॥दोहा॥

पाठ शनिश्चर देव को, की हों विमल तैयार

करत पाठ चालीस दिनहो भवसागर पार

भगवान शनिदेव के इस पाठ को ‘विमल’ ने तैयार किया है जो भी इस चालीसा का चालीस दिन तक पाठ करता है शनिदेव की कृपा से वह भवसागर से पार हो है।

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Sunday 27 May 2018

Mumbi ki sair

मुंबई: महंगे शहर के सस्ते नजारे

अगर कम बजट में महंगे शहर मुंबई के नजारे देखने हैं तो ढूंढि़ए वहां रहने वाला कोई दोस्त और सस्ते में कीजिए हर दर्शनीय स्थल

‘सैर कर दुनिया की गाफ़िल जिंदगानी फिर कहां, जिंदगानी गर रही तो, नौजवानी फिर कहां…’

जीवनशैली - पर्यटन

किरकिरा न हो जाए ग्रुप टूर का मजा

वाकई यह उम्र होती ही घूमनेफिरने की है और मेरा भी शौक रहा है नईनई जगह देखने, वहां के लोगों से मिलने और नए, अनूठे अनुभवों को महसूस करने का. मेरा ऐसा ही एक यात्रा वृत्तांत है. लंबे समय से इच्छा थी मुंबई घूमने की, लेकिन मुंबई बहुत बड़ा और महंगा शहर है और मैं ठहरा एक स्टूडैंट, जिस का हाथ हमेशा तंग रहता है. होस्टल और कालेज फीस देने के बाद मेरे पास इतने रुपए नहीं बचते कि मुंबई जाना, रहना और घूमना अफोर्ड  कर सकूं. लेकिन कहते हैं न कि ‘जहां चाह वहां राह’ तो मैं ने 5-6 दोस्तों को तैयार किया जो मुंबई घूमना चाहते थे. हम पांचों फक्कड़ थे लेकिन सब ने कुछ न कुछ जुगाड़ लगाया और आनेजाने के टिकट के बाद हमारे पास 1 हजार रुपए जमा थे, लेकिन इतने में 2 दिन के लिए मुंबई प्रवास संभव नहीं था.

मन में खयाल आया कि अगर किसी तरह मुंबई में कोई जानपहचान वाला या फिर कोई यारदोस्त ऐसा निकल आए जिस के घर पर रुका जा सके और खानापीना भी हो जाए तो इतने कम बजट में भी मुंबई घूमने का अरमान पूरा हो सकता है. सोचविचार कर मैं ने तुरंत अपना फेसबुक अकाउंट खोला, काफी जद्दोजेहद के बाद मेरी स्कूल टाइम के फ्रैंड रवि से मुलाकात हुई, जो अब मुंबई में अच्छी जौब कर रहा था. उसे फोन मिलाया औैर पुराने दिनों की यादें ताजा करने के साथसाथ अपनी ख्वाहिश भी बताई. रवि ने मुझे अपने पूरे ग्रुप के साथ मुंबई आमंत्रित कर लिया. हम सब दोस्त नियत तिथि पर ट्रेन से मुंबई के लिए रवाना हुए. मुंबई सैंट्रल पर उतरे तो बेहिसाब भीड़ व शोरगुल से नर्वस हो गए. गनीमत थी कि रवि हमें लेने आ गया था.

मुंबई सैंट्रल से चैंबूर जहां रवि रहता था, तक का सफर हम ने लोकल ट्रेन से तय किया. खचाखच भरी लोकल ट्रेन में फुरती से चढ़नाउतरना भी अपनेआप में अनोखा अनुभव रहा. रवि ने हमें बताया कि लोकल टे्रन ही मुंबई की लाइफलाइन है. आम आदमी इन के जरिए ही यात्रा कर अपने गंतव्य तक कम से कम समय और खर्च में पहुंच पाता है. रवि के घर पहुंच कर ही हम सब ने नाश्ता किया. हम रवि को बजट के बारे में तो पहले ही बता चुके थे, लेकिन कहां, कैसे जाना है, इस बारे में कोईर् नहीं जानता था. तभी रवि हमें चिंतित देख कर बोला कि चिंता मत करो, मैं कुछ ऐसा प्लान करता हूं जिस से कम खर्च में तुम ज्यादा से ज्यादा घूम सको और भरपूर ऐंजौय कर सको.

सब से पहले हम ने विक्टोरिया टर्मिनस देखने का प्लान बनाया, जिस के लिए हम लोकल ट्रेन पकड़ कर चैंबूर से कुर्ला उपनगर पहुंचे. यहां से विक्टोरिया टर्मिनस तक लोकल टे्रन से ही गए, जिस का किराया मात्र 15 रुपए था. विक्टोरिया टर्मिनस का नया नाम छत्रपति शिवाजी टर्मिनस है. यह एक हैरिटेड बिल्डिंग है. हम ने यहां उतर कर सब से पहले इसे ही देखा. इस के रखरखाव व साफसफाई ने इस की खूबसूरती में चार चांद लगा दिए थे. विक्टोरिया टर्मिनस से बाहर निकले तो रवि ने हमें फेमस मनीष मार्केट में घुमाया, जो यहां की बड़ी सस्ती मार्केट थी. कुछ आगे बहुप्रसिद्घ जहांगीर आर्ट गैलरी थी, जिसे हम ने बाहर से ही देखा. इसी क्षेत्र में मशहूर फैशन स्ट्रीट भी है, जिस के बारे में अधिकांश लोग जानते हैं. यहां लेटैस्ट टैं्रड के कपड़े बहुत कम कीमत पर मिलते हैं. हम ने भी यहां से थोड़ी शौपिंग की.

रवि ने मसजिद बंदर नाम की मार्केट का भी जिक्र किया, जहां सस्ते में अच्छा सामान मिलता था, लेकिन हम सब को जुहू बीच जाने की जल्दी थी. सो हम वापस विक्टोरिया टर्मिनस आए और लोकल टे्रन पकड़ कर मैरीन लाइंस स्टेशन पहुंचे. वहां से जुहू बीच चौपाटी पहुंचे. दोपहर का समय था और उस पर मुंबई का हौट और उमस भरा मौसम. सारा बदन चिपचिप कर रहा था. मगर बीच पर पहुंचते ही जब नजर पड़ी दूर तक फैले विशाल समुद्र पर तो गरमी में भी ठंडक का एहसास होने लगा. हम दौड़ते हुए लहरों से जा मिले. जी भर कर नहाए व सैल्फी ली. फिर हम चौपाटी पहुंच गए, वहां की रौनक भी देखने लायक थी. मुंबई के फेमस पावभाजी, सेवपूरी व पानीपूरी के स्टौल देख कर हमारे मुंह में पानी आने लगा. भले ही पावभाजी थोड़ी महंगी थी लेकिन उस का टेस्ट इतना बढि़या था कि पैसे वसूल हो गए. अब हम सब थकान महसूस करने लगे, सो कुछ देर रेत पर लेट कर आराम किया.

अब हमें मैरीन ड्राइव व नरीमन पौइंट जाना था जो यहां से आधे घंटे के वौकिंग डिस्टैंस पर थे. रवि ने बताया कि बस हमें जल्दी पहुंचा सकती है, लेकिन हम ने पैदल ही चलने का निर्णय लिया, क्योंकि शाम होने से मौसम सुहाना हो गया था औैर फिर बजट का भी खयाल रखना था. चारों ओर के नजारे देखते हुए हम नरीमन पौइंट पहुंचे. यहां बड़ीबड़ी कंपनियों के शानदार औफिस और फाइव स्टार होटल देखने को मिले. कतार में चलती देशीविदेशी महंगी कारों का सैलाब भी था. यहां की हवा में ही जैसे अमीरी की महक रचीबसी थी. सड़क के दूसरी तरफ रोशनी से जगमगाता मैरीन ड्राइव, रात को भी दिन का नजारा पेश कर रहा था. अधिकतर लोग मैरीन ड्राइव की चौड़ी मुंडेर पर बैठे सड़क की रौनक देख रहे थे, तो कई कपल समुद्र की ओर मुंह किए बैठे थे. हम भी यहीं बैठ गए और चारों ओर बिखरी खूबसूरती को देखने लगे. फिर हम मैरीन लाइंस स्टेशन से लोकल ट्रेन पकड़ कर चर्चगेट स्टेशन पहुंचे और फिर वहां से 20 मिनट कदमताल कर विश्वप्रसिद्ध गेट वे औफ इंडिया पहुंचे. चांदनी रात में इस की भव्यता औैर खूबसूरती देखते ही बनती थी, रात में भी यहां काफी पर्यटक मौजूद थे.

गेट वे औफ इंडिया से ही एलीफेंटा केव्स के लिए समुद्र के बीचोंबीच से फेरी बोट जाती है. इस में आनेजाने व केव्स घूमने में आधे दिन से भी ज्यादा समय लगता है. इसी क्षेत्र में कोलाबा कासवे नामक मशहूर मार्केट है, जहां शौपिंग के शौकीन लोग हमेशा जाते हैं. लेकिन हम गेट वे औफ इंडिया का लुत्फ ले कर चर्चगेट स्टेशन आए औैर वहां से लोकल ट्रेन पकड़ कर चैंबूर वापस आ गए.

अगले दिन चैंबूर से सिद्धिविनायक मंदिर तक हम बस में आए और फिर दादर उपनगर की ओर रुख किया, जो शौपिंग के लिए काफी फेमस है. यहीं पर जंबो किंग के नाम से फेमस शौप है, जहां हम ने जंबो वड़ापाव खाया जो काफी स्वादिष्ठ और बड़ा था. पेट भर गया. रवि ने कहा कि वड़ापाव मुंबई के लोकप्रिय रोड साइड स्नैक्स में से है. अब हम ने हाजी अली दरगाह का रुख किया. यहां पहुंचने का रास्ता बड़ा ही मनमोहक है. समुद्र के बीचोंबीच रास्ता है, जब उस पर चलते हैं तो दोनों तरफ उछाल मारती लहरें हमारा स्वागत करती प्रतीत होती हैं. यह रास्ता थोड़ा गीला होने के कारण फिसलन भरा भी था. दरगाह भव्य थी. यहां कई हिंदी फिल्मों के मशहूर दृश्य फिल्माए गए हैं. हम ने वहां जा कर मस्ती की. फिर रवि हम सब को 80 नंबर की बस में बैठा कर बांद्रा, जोकि अमीरों का इलाका है, ले गया. यहां लिंकिंग रोड खरीदारी के लिए मशहूर है, खासतौर पर फुटवियर औैर कपड़ों के लिए. मेरे कुछ दोस्तों ने यहां थोड़ीबहुत खरीदारी की.

फिर हम बैंड स्टैंड पहुंचे. यह भी काफी खूबसूरत जगह है. जहां रात को लोगों का हुजूम उमड़ता है. हमें तो देखना था शाहरुख खान का बंगला मन्नत, जो बैंड स्टैंड के पास ही है. बंगले को देख कर लगा जैसे शाहरुख खान को ही देख लिया. हम ने सिक्योरिटी गार्ड को पटा कर मन्नत के सामने सैल्फी भी ली. फिर सलमान खान का गैलेक्सी अपार्टमैंट भी देखा. यह सब देख हम वापस चैंबूर पहुंचे. यहां रवि ने हमें मोनोरेल में सफर करवाया. रवि ने हमें बताया कि देश की प्रथम मोनोरेल मुंबई में चैंबूर से वडाला के बीच चली है. हम भी चैंबूर से वडाला गए. इस का टिकट मात्र 12 रुपए था. अगले दिन सुबह ही हमें अपने घर के लिए रवाना होना था, रवि ने हमें मुंबई सैंट्रल पहुंचाया. उसे धन्यवाद दे कर हम सब ट्रेन में चढ़ गए. रवि जैसे दोस्त की वजह से ही हम कम बजट में मुंबई घूम पाए.मुंबई शहर की जिंदादिली, यहां के लोगों का दोस्ताना व्यवहार, अनुशासन हमें बहुत अच्छा लगा. मीठी, खूबसूरत यादों की पोटली साथ लिए हम वापस आ गए.

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