Sunday 27 May 2018

Mumbi ki sair

मुंबई: महंगे शहर के सस्ते नजारे

अगर कम बजट में महंगे शहर मुंबई के नजारे देखने हैं तो ढूंढि़ए वहां रहने वाला कोई दोस्त और सस्ते में कीजिए हर दर्शनीय स्थल

‘सैर कर दुनिया की गाफ़िल जिंदगानी फिर कहां, जिंदगानी गर रही तो, नौजवानी फिर कहां…’

जीवनशैली - पर्यटन

किरकिरा न हो जाए ग्रुप टूर का मजा

वाकई यह उम्र होती ही घूमनेफिरने की है और मेरा भी शौक रहा है नईनई जगह देखने, वहां के लोगों से मिलने और नए, अनूठे अनुभवों को महसूस करने का. मेरा ऐसा ही एक यात्रा वृत्तांत है. लंबे समय से इच्छा थी मुंबई घूमने की, लेकिन मुंबई बहुत बड़ा और महंगा शहर है और मैं ठहरा एक स्टूडैंट, जिस का हाथ हमेशा तंग रहता है. होस्टल और कालेज फीस देने के बाद मेरे पास इतने रुपए नहीं बचते कि मुंबई जाना, रहना और घूमना अफोर्ड  कर सकूं. लेकिन कहते हैं न कि ‘जहां चाह वहां राह’ तो मैं ने 5-6 दोस्तों को तैयार किया जो मुंबई घूमना चाहते थे. हम पांचों फक्कड़ थे लेकिन सब ने कुछ न कुछ जुगाड़ लगाया और आनेजाने के टिकट के बाद हमारे पास 1 हजार रुपए जमा थे, लेकिन इतने में 2 दिन के लिए मुंबई प्रवास संभव नहीं था.

मन में खयाल आया कि अगर किसी तरह मुंबई में कोई जानपहचान वाला या फिर कोई यारदोस्त ऐसा निकल आए जिस के घर पर रुका जा सके और खानापीना भी हो जाए तो इतने कम बजट में भी मुंबई घूमने का अरमान पूरा हो सकता है. सोचविचार कर मैं ने तुरंत अपना फेसबुक अकाउंट खोला, काफी जद्दोजेहद के बाद मेरी स्कूल टाइम के फ्रैंड रवि से मुलाकात हुई, जो अब मुंबई में अच्छी जौब कर रहा था. उसे फोन मिलाया औैर पुराने दिनों की यादें ताजा करने के साथसाथ अपनी ख्वाहिश भी बताई. रवि ने मुझे अपने पूरे ग्रुप के साथ मुंबई आमंत्रित कर लिया. हम सब दोस्त नियत तिथि पर ट्रेन से मुंबई के लिए रवाना हुए. मुंबई सैंट्रल पर उतरे तो बेहिसाब भीड़ व शोरगुल से नर्वस हो गए. गनीमत थी कि रवि हमें लेने आ गया था.

मुंबई सैंट्रल से चैंबूर जहां रवि रहता था, तक का सफर हम ने लोकल ट्रेन से तय किया. खचाखच भरी लोकल ट्रेन में फुरती से चढ़नाउतरना भी अपनेआप में अनोखा अनुभव रहा. रवि ने हमें बताया कि लोकल टे्रन ही मुंबई की लाइफलाइन है. आम आदमी इन के जरिए ही यात्रा कर अपने गंतव्य तक कम से कम समय और खर्च में पहुंच पाता है. रवि के घर पहुंच कर ही हम सब ने नाश्ता किया. हम रवि को बजट के बारे में तो पहले ही बता चुके थे, लेकिन कहां, कैसे जाना है, इस बारे में कोईर् नहीं जानता था. तभी रवि हमें चिंतित देख कर बोला कि चिंता मत करो, मैं कुछ ऐसा प्लान करता हूं जिस से कम खर्च में तुम ज्यादा से ज्यादा घूम सको और भरपूर ऐंजौय कर सको.

सब से पहले हम ने विक्टोरिया टर्मिनस देखने का प्लान बनाया, जिस के लिए हम लोकल ट्रेन पकड़ कर चैंबूर से कुर्ला उपनगर पहुंचे. यहां से विक्टोरिया टर्मिनस तक लोकल टे्रन से ही गए, जिस का किराया मात्र 15 रुपए था. विक्टोरिया टर्मिनस का नया नाम छत्रपति शिवाजी टर्मिनस है. यह एक हैरिटेड बिल्डिंग है. हम ने यहां उतर कर सब से पहले इसे ही देखा. इस के रखरखाव व साफसफाई ने इस की खूबसूरती में चार चांद लगा दिए थे. विक्टोरिया टर्मिनस से बाहर निकले तो रवि ने हमें फेमस मनीष मार्केट में घुमाया, जो यहां की बड़ी सस्ती मार्केट थी. कुछ आगे बहुप्रसिद्घ जहांगीर आर्ट गैलरी थी, जिसे हम ने बाहर से ही देखा. इसी क्षेत्र में मशहूर फैशन स्ट्रीट भी है, जिस के बारे में अधिकांश लोग जानते हैं. यहां लेटैस्ट टैं्रड के कपड़े बहुत कम कीमत पर मिलते हैं. हम ने भी यहां से थोड़ी शौपिंग की.

रवि ने मसजिद बंदर नाम की मार्केट का भी जिक्र किया, जहां सस्ते में अच्छा सामान मिलता था, लेकिन हम सब को जुहू बीच जाने की जल्दी थी. सो हम वापस विक्टोरिया टर्मिनस आए और लोकल टे्रन पकड़ कर मैरीन लाइंस स्टेशन पहुंचे. वहां से जुहू बीच चौपाटी पहुंचे. दोपहर का समय था और उस पर मुंबई का हौट और उमस भरा मौसम. सारा बदन चिपचिप कर रहा था. मगर बीच पर पहुंचते ही जब नजर पड़ी दूर तक फैले विशाल समुद्र पर तो गरमी में भी ठंडक का एहसास होने लगा. हम दौड़ते हुए लहरों से जा मिले. जी भर कर नहाए व सैल्फी ली. फिर हम चौपाटी पहुंच गए, वहां की रौनक भी देखने लायक थी. मुंबई के फेमस पावभाजी, सेवपूरी व पानीपूरी के स्टौल देख कर हमारे मुंह में पानी आने लगा. भले ही पावभाजी थोड़ी महंगी थी लेकिन उस का टेस्ट इतना बढि़या था कि पैसे वसूल हो गए. अब हम सब थकान महसूस करने लगे, सो कुछ देर रेत पर लेट कर आराम किया.

अब हमें मैरीन ड्राइव व नरीमन पौइंट जाना था जो यहां से आधे घंटे के वौकिंग डिस्टैंस पर थे. रवि ने बताया कि बस हमें जल्दी पहुंचा सकती है, लेकिन हम ने पैदल ही चलने का निर्णय लिया, क्योंकि शाम होने से मौसम सुहाना हो गया था औैर फिर बजट का भी खयाल रखना था. चारों ओर के नजारे देखते हुए हम नरीमन पौइंट पहुंचे. यहां बड़ीबड़ी कंपनियों के शानदार औफिस और फाइव स्टार होटल देखने को मिले. कतार में चलती देशीविदेशी महंगी कारों का सैलाब भी था. यहां की हवा में ही जैसे अमीरी की महक रचीबसी थी. सड़क के दूसरी तरफ रोशनी से जगमगाता मैरीन ड्राइव, रात को भी दिन का नजारा पेश कर रहा था. अधिकतर लोग मैरीन ड्राइव की चौड़ी मुंडेर पर बैठे सड़क की रौनक देख रहे थे, तो कई कपल समुद्र की ओर मुंह किए बैठे थे. हम भी यहीं बैठ गए और चारों ओर बिखरी खूबसूरती को देखने लगे. फिर हम मैरीन लाइंस स्टेशन से लोकल ट्रेन पकड़ कर चर्चगेट स्टेशन पहुंचे और फिर वहां से 20 मिनट कदमताल कर विश्वप्रसिद्ध गेट वे औफ इंडिया पहुंचे. चांदनी रात में इस की भव्यता औैर खूबसूरती देखते ही बनती थी, रात में भी यहां काफी पर्यटक मौजूद थे.

गेट वे औफ इंडिया से ही एलीफेंटा केव्स के लिए समुद्र के बीचोंबीच से फेरी बोट जाती है. इस में आनेजाने व केव्स घूमने में आधे दिन से भी ज्यादा समय लगता है. इसी क्षेत्र में कोलाबा कासवे नामक मशहूर मार्केट है, जहां शौपिंग के शौकीन लोग हमेशा जाते हैं. लेकिन हम गेट वे औफ इंडिया का लुत्फ ले कर चर्चगेट स्टेशन आए औैर वहां से लोकल ट्रेन पकड़ कर चैंबूर वापस आ गए.

अगले दिन चैंबूर से सिद्धिविनायक मंदिर तक हम बस में आए और फिर दादर उपनगर की ओर रुख किया, जो शौपिंग के लिए काफी फेमस है. यहीं पर जंबो किंग के नाम से फेमस शौप है, जहां हम ने जंबो वड़ापाव खाया जो काफी स्वादिष्ठ और बड़ा था. पेट भर गया. रवि ने कहा कि वड़ापाव मुंबई के लोकप्रिय रोड साइड स्नैक्स में से है. अब हम ने हाजी अली दरगाह का रुख किया. यहां पहुंचने का रास्ता बड़ा ही मनमोहक है. समुद्र के बीचोंबीच रास्ता है, जब उस पर चलते हैं तो दोनों तरफ उछाल मारती लहरें हमारा स्वागत करती प्रतीत होती हैं. यह रास्ता थोड़ा गीला होने के कारण फिसलन भरा भी था. दरगाह भव्य थी. यहां कई हिंदी फिल्मों के मशहूर दृश्य फिल्माए गए हैं. हम ने वहां जा कर मस्ती की. फिर रवि हम सब को 80 नंबर की बस में बैठा कर बांद्रा, जोकि अमीरों का इलाका है, ले गया. यहां लिंकिंग रोड खरीदारी के लिए मशहूर है, खासतौर पर फुटवियर औैर कपड़ों के लिए. मेरे कुछ दोस्तों ने यहां थोड़ीबहुत खरीदारी की.

फिर हम बैंड स्टैंड पहुंचे. यह भी काफी खूबसूरत जगह है. जहां रात को लोगों का हुजूम उमड़ता है. हमें तो देखना था शाहरुख खान का बंगला मन्नत, जो बैंड स्टैंड के पास ही है. बंगले को देख कर लगा जैसे शाहरुख खान को ही देख लिया. हम ने सिक्योरिटी गार्ड को पटा कर मन्नत के सामने सैल्फी भी ली. फिर सलमान खान का गैलेक्सी अपार्टमैंट भी देखा. यह सब देख हम वापस चैंबूर पहुंचे. यहां रवि ने हमें मोनोरेल में सफर करवाया. रवि ने हमें बताया कि देश की प्रथम मोनोरेल मुंबई में चैंबूर से वडाला के बीच चली है. हम भी चैंबूर से वडाला गए. इस का टिकट मात्र 12 रुपए था. अगले दिन सुबह ही हमें अपने घर के लिए रवाना होना था, रवि ने हमें मुंबई सैंट्रल पहुंचाया. उसे धन्यवाद दे कर हम सब ट्रेन में चढ़ गए. रवि जैसे दोस्त की वजह से ही हम कम बजट में मुंबई घूम पाए.मुंबई शहर की जिंदादिली, यहां के लोगों का दोस्ताना व्यवहार, अनुशासन हमें बहुत अच्छा लगा. मीठी, खूबसूरत यादों की पोटली साथ लिए हम वापस आ गए.

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