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Updated on: May 08, 2019, 10.29 AM IST,
आपको बता दें, सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश के मुताबिक, आधार पूरी तरह से वैकल्पिक है. आधार एक्ट के तहत सेक्शन 57 को असंवैधानिक करार दिया जा चुका है.
सुप्रीम कोर्ट ने आधार एक्ट के तहत सेक्शन 57 को असंवैधानिक करार दिया है. इस फैसले के बाद बैंक अकाउंट, मोबाइल-वॉलेट और मोबाइल नंबर को अब आधार को लिंक कराने की जरूरत नहीं है. हालांकि, जिन्होंने पहले से ही बैंक खाते, मोबाइल नंबर से आधार को जोड़ रखा है वह इसे डीलिंक कर सकते हैं. कुछ बैंकों ने अपने ग्राहकों को आधार डीलिंक करने की सुविधा देना शुरू कर दिया है. लेकिन, डीलिंक कैसे करें, इसकी सही जानकारी होना जरूरी है.
अब भी मांगा जा रहा है आधार
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अब भी ज्यादातर बैंक, मोबाइल वॉलेट कंपनियां अपने ग्राहकों से KYC के नाम पर आधार देने को बोलती हैं. हालांकि, यह बिल्कुल अनिवार्य नहीं है कि आधार को पहचान पत्र के तौर पर इस्तेमाल किया जाए. यह पूरी तरह से ग्राहकों पर निर्भर करता है कि वह आधार देना चाहता है या नहीं.
कैसे डीलिंक कर सकते हैं अपना आधार
> सबसे पहले आपको बैंक, ई-वॉलेट और मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाना होगा.
> कंपनी की ऑफिशियल वेबसाइट पर लॉग-इन करें और अपने पर्सनल प्रोफाइल वाले विकल्प पर जाएं
> अब यहां डीलिंक करने के विकल्प की तलाश करें. यहां से डीलिंक होने के बाद इसका डीलिंक होने का एक SMS भी मिलेगा.
> बैंक की ऑफिशियल वेबसाइट पर आधार डीलिंक का विकल्प नहीं मिलने की स्थिति में अपनी ब्रांच से संपर्क करें. बैंकों ने इसके लिए एक फॉर्म भी जारी करना शुरू किया है.
> बैंक से अपने फॉर्म के बदले स्वीकृति पत्र लेना न भूलें. इस पर बैंक की मुहर या सील होनी चाहिए.
> आप अपने बैंक को उसकी ऑफिशियल ई-मेल आईडी पर भी भेज सकते हैं. इसके लिए कई बैंकों ने अपनी ई-मेल आईडी शेयर करना शुरू किया है.
> बैंक और टेलीकॉम ऑपरेटर्स को आप एक फॉर्म भरकर भी भेज सकते हैं. इसके लिए कस्टमर सर्विस पर रिक्वेस्ट की जा सकती है.
कैसे भरे डीलिंक आधार नंबर फॉर्म
आधार नंबर डीलिंक करने के हेतु आवेदन
तारीख:
ब्रांच मैनेजर:
बैंक का नाम:
पता:
विषय: सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार मेरे बैंक अकाउंट/मोबाइल नंबर/ई-वॉलेट से आधार नंबर को डीलिंक किया जाए.
बैंक खाता संख्या/मोबाइल नंबर/ई-वॉलेट संख्या....
इसके बाद आप अपने मैसेज लिख सकते हैं, जिसमें आप अपने आधार को डीलिंक करने का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दे सकते हैं. इसमें आपको ज्यादा जानकारी नहीं देनी है. सिर्फ अपने निजता के अधिकार को रखते हुए डीलिंक करने को कहना है.
पूरी तरह वैकल्पिक है आधार
आपको बता दें, सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश के मुताबिक, आधार पूरी तरह से वैकल्पिक है. जनधन खाता, बैंक अकाउंट, मोबाइल नंबर वेरिफिकेशन, स्टॉक डीलिंग्स, पासपोर्ट, प्रोविडेंट फंड, पेंशन, सैलरी और एडमिशन के लिए आधार देने की जरूरत नहीं है.
सिर्फ इन कामों के लिए शेयर करें
> पैन कार्ड बनवाने के लिए आधार कार्ड जरूरी होगा. इसके बाद आधार को पैन कार्ड से लिंक भी कराना होगा. लिंक कराने का फायदा वित्तीय स्थितियों में लाभ के लिए मिलेगा.
> आयकर रिटर्न भरने के लिए भी आधार नंबर की डिटेल्स फाइल करनी होगी. इसके लिए आधार का पैन से लिंक होना जरूरी है.
> सरकार की तरफ से दी जाने वाली लाभकारी योजनाओं में आधार जरूरी होगा. साथ ही सब्सिडी आधारित योजनाओं में सब्सिडी का लाभ लेने के लिए भी आधार अनिवार्य होगा.
कहां शेयर करना जरूरी नहीं
> मोबाइल सिम लेने के लिए किसी भी टेलीकॉम ऑपरेटर या रिटेलर को आधार देने की जरूरत नहीं होगी. कंपनियां आपसे आधार नहीं मांग सकेंगी.
> मोबाइल वॉलेट के केवाईसी के लिए भी अब आधार देने की जरूरत नहीं होगी. यहां भी आधार की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है.
> किसी भी बैंक भी अकाउंट खोलने के लिए आधार कार्ड या नंबर शेयर करने की जरूरत नहीं होगी.
> स्कूल एडमिशन के वक्त बच्चे का आधार नंबर शेयर करना जरूरी नहीं होगा.
> CBSE, नीट और UGC की परीक्षाओं के लिए भी आधार जरूरी नहीं होगा.
> 14 साल से कम उम्र के बच्चों को आधार नहीं होने पर सरकार की ओर से दी जाने वाली जरूरी सेवाओं से वंचित नहीं किया जा सकता.
> म्युचुअल फंड, शेयर मार्केट के केवाईसी के लिए भी आधार कार्ड देने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है.
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