Wednesday 28 February 2018

500 crore ka bussiness

कभी 2 रुपये कमाने वाली कल्पना सरोज ने खड़ी की 500 करोड़ की कम्पनी

कहानी थोड़ी फ़िल्मी है लेकिन है सौ फीसदी सच्ची। कल्पना सरोज जी का जीवन ‘‘स्लमडॉग मिलेनियर’’ फिल्म को यथार्थ करता हुआ नजर आता है। Kalpana Saroj की कहानी उस दलित पिछड़े समाज के लड़की की कहानी है जिसे जन्म से ही अनेकों कठिनाइयों से जूझना पड़ा, समाज की उपेक्षा सहनी पड़ी, बाल-विवाह का आघात झेलना पड़ा, ससुराल वालों का अत्याचार सहना पड़ा, दो रुपये रोज की नौकरी करनी पड़ी और उन्होंने एक समय खुद को ख़त्म करने के लिए ज़हर तक पी लिया, लेकिन आज वही कल्पना सरोज 500 करोड़ के बिजनेस की मालकिन है। आइये जानते हैं कल्पना सरोज के बेहद inspiring life journey के बारे में।

पारिवारिक पृष्ठभूमि:

सन 1961 में महाराष्ट्र के अकोला जिले के छोटे से गाँव रोपरखेड़ा के गरीब दलित परिवार में कल्पना का जन्म हुआ। कल्पना के पिता एक पुलिस हवलदार थे और उनका वेतन मात्र 300 रूपये था जिसमे कल्पना के 2 भाई – 3 बहन , दादा-दादी, तथा चाचा जी के पूरे परिवार का खर्च चलता था। पुलिस हवलदार होने के नाते उनका पूरा परिवार पुलिस क्वार्टर में रहता था।कल्पना जी पास के ही सरकारी स्कूल में पढने जाती थीं, वे पढाई में होशियार थीं पर दलित होने के कारण यहाँ भी उन्हें शिक्षकों और सहपाठियों की उपेक्षा झेलनी पड़ती थी।

कल्पना जी अपने बचपन के बारे में बताते हुए कहती हैं –

हमारे गाँव में बिजली नहीं थीकोई सुख-सुविधाएं नहीं थींबचपन में स्कूल से लौटते वक़्त मैं अकसर गोबर उठानाखेत में काम करना और लकड़ियाँ चुनने का काम करती थी

कम उम्र में विवाह:

कल्पना जी जिस society से हैं वहां लड़कियों को “ज़हर की पुड़िया” की संज्ञा दी जाती थी, इसीलिए लड़कियों की शादी जल्दी करके अपना बोझ कम करने का चलन था। जब कल्पना जी 12 साल की हुईं और सातवीं कक्षा में पढ़ रही थीं तभी समाज के दबाव में आकर उनके पिता ने उनकी पढाई छुडवा दी और उम्र में बड़े एक लड़के से शादी करवा दी। शादी के बाद वो मुंबई चली गयीं जहाँ यातनाए पहले से उनका इंतजार कर रहीं थीं।

कल्पना जी ने एक इंटरव्यू में बताया-

मेरे ससुराल वाले मुझे खाना नहीं देतेबाल पकड़कर बेरहमी से मारतेजानवरों से भी बुरा बर्ताव करते। कभी खाने में नमक को लेकर मार पड़ती तो कभी कपड़े साफ़ ना धुलने पर धुनाई हो जाती।

ये सब सहते-सहते कल्पना जी जी स्थिति इतनी बुरी हो चुकी थी कि जब 6 महीने बाद उनके पिता उनसे मिलने आये तो उनकी दशा देखकर उन्हें गाँव वापस लेकर चले गये।

आत्महत्या का प्रयास:

जब शादी-शुदा लड़की मायके आ जाती है तो समाज उसे अलग ही नज़र से देखता है। आस-पड़ोस के लोग ताने कसते, तरह-तरह की बातें बनाते। पिताजी ने दुबारा पढ़ाने की भी कोशिश की पर इतना दुःख देख चुकी लड़की का पढाई में कहाँ मन लगता! हर तरफ से मायूस कल्पना को लगा की जीना मुश्किल है और मरना आसान है ! उन्होंने कहीं से खटमल मारने वाले ज़हर की तीन बोतलें खरीदीं और चुपके से उसे लेकर अपनी बुआ के यहाँ चली गयीं।

बुआ जब चाय बना रही थीं तभी कल्पना ने तीनो बोतलें एक साथ पी लीं… बुआ चाय लेकर कमरे में घुसीं तो उनके हाथ से कप छूटकर जमीन पर गिर गए…देखा कल्पना के मुंह से झाग निकल रहा है! अफरा-तफरी में डॉक्टरों की मदद ली गयी…बचना मुश्किल था पर भगवान् को कुछ और ही मंजूर था और उनकी जान बच गयी!

यहीं से कल्पना जी का जीवन बदल गया। उन्हें लगा की ज़िन्दगी ने उन्हें एक और मौका दिया है…. a second chance.

वो कहती हैं-

जब मैं बच गयी तो सोचा कि जब कुछ करके मरा जा सकता है तो इससे अच्छा ये है कि कुछ करके जिया जाए!

और उन्हें अपने अन्दर एक नयी उर्जा महसूस हुई, अब वो जीवन में कुछ करना चाहती थीं।

इस घटना के बाद उन्होंने कई जगह नौकरी पाने की कोशिश की पर उनकी छोटी उम्र और कम शिक्षा की वजह से कोई भी काम न मिल सका, इसलिए उन्होंने मुंबई जाने का फैसला किया।

मुंबई की ओर कदम:

16 साल की उम्र में कल्पना जी अपने चाचा के पास मुंबई आ गयी। वो सिलाई का काम जानती थीं, इसलिए चाचा जी उन्हें एक कपड़े की मिल में काम दिलाने ले गए। उस दिन को याद करके कल्पना जी बताती हैं, “ मैं मशीन चलाना अच्छे से जानती थी पर ना जाने क्यों मुझसे मशीन चली ही नहीं, इसलिए मुझे धागे काटने का काम दे दिया गया, जिसके लिए मुझे रोज के दो रूपये मिलते थे।”

कल्पना जी ने कुछ दिनों तक धागे काटने का काम किया पर जल्द ही उन्होंने अपना आत्मविश्वास वापस पा लिया और मशीन भी चलाने लगीं जिसके लिए उन्हें महीने के सवा दो सौ रुपये मिलने लगे।

इसी बीच किन्ही कारणों से पिता की नौकरी छूट गयी। और पूरा परिवार आकर मुंबई में रहने लगा।

गरीबी की चोट:

धीरे-धीरे सबकुछ ठीक हो रहा था कि तभी एक ऐसी घटना घटी जिसने कल्पना जी को झकझोर कर रख दिया। उनकी बहन बहुत बीमार रहने लगी और इलाज के पैसे न होने के कारण एक दिन उसकी मौत हो गयी। तभी कल्पना जी को एहसास हुआ कि दुनिया में सबसे बड़ी कोई बीमारी है तो वह है – गरीबी ! और उन्होंने निश्चय कर लिया कि वो इस बीमारी को अपने जीवन से हमेशा के लिए ख़त्म कर देंगी।

सफलता की तरफ कदम:

कल्पना ने अपनी जिन्दगी से गरीबी मिटाने का प्रण लिया। उन्होंने अपने छोटे से घर में ही कुछ सिलाई मशीने लगा लीं और 16-16 घंटे काम करने लगीं; उनकी कड़ी मेहनत करने की ये आदत आज भी बरकरार है।

सिलाई के काम से कुछ पैसे आ जाते थे पर ये काफी नहीं थे, इसलिए उन्होंने बिजनेस करने का सोचा। पर बिजनेस के लिए तो पैसे चाहिए होते हैं इसलिए वे सरकार से लोन लेने का प्रयास करने लगीं। उनके इलाके में एक आदमी था जो लों दिलाने का काम करता था। कल्पना जी रोज सुबह 6 बजे उसके घर के सामने जाकर बैठ जातीं। कई दिन बीत गए पर वो इनकी तरफ कोई ध्यान नहीं देता था पर 1 महीने बाद भी जब कल्पना जी ने उसके घर के चक्कर लगाने नहीं छोड़े तो मजबूरन उसे बात करनी पड़ी।

उसी आदमी से पता चला कि अगर 50 हज़ार का लोन चाहिए तो उसमे से 10 हज़ार इधर-उधर खिलाने पड़ेंगे। कल्पना जी इस चीज के लिए तैयार नहीं थीं और इस तरह की समस्याओं से निपटने के लिए उन्होंने कुछ लोगों के साथ मिलकर एक संगठन बनाया जो लोगों को सराकरी योजनाओं के बारे में बताता था और लोन दिलाने में मदद करता था। धीरे-धीरे ये संगठन काफी पोपुलर हो गया और समाज के लिए निःस्वार्थ भाव से काम करने के कारण कल्पना जी की पहचान भी कई बड़े लोगों से हो गयी।

उन्होंने खुद भी महाराष्ट्र सरकार द्वारा चलायी जा रही महात्मा ज्योतिबा फुले योजना के अंतर्गत 50,000 रूपये का कर्ज लिया और 22 साल की उम्र मे फर्नीचर का बिजनेस शुरू किया जिसमे इन्हें काफी सफलता मिली और फिर कल्पना जी ने एक ब्यूटी पार्लर भी खोला। इसके बाद कल्पना जी ने स्टील फर्नीचर के एक व्यापारी से दोबारा विवाह किया लेकिन वे 1989 में एक पुत्री और एक पुत्र का भार उन पर छोड़ कर वे इस दुनिया से चले गये।

बड़ी कामयाबी

एक दिन एक आदमी कल्पना जी पास आया और उसने अपना प्लाट 2.5 लाख का बेचने के लिए लिए कहा।कल्पना जी ने कहा मेरे पास 2.5 लाख नही है ,उसने कहा आप एक लाख मुझे अभी दे दीजिये बाकी का आप बाद में दे दीजियेगा। कल्पना जी ने अपनी जमा पूंजी और उधार मांगकर 1 लाख उसे दिए लेकिन बाद में उन्हें पता चला की ज़मीन विवादस्पद है, और उसपर कुछ बनाया नहीं जा सकता। उन्होंने 1.5-2 साल दौड़-भाग करके उस ज़मीन से जुड़े सभी मामले सुलझा लिए और 2.5 लाख की कीमत वाला वो प्लाट रातों-रात को 50 लाख का बन गया।

हत्या की साजिश 

एक औरत का इनती महंगी ज़मीन का मालिक बनना इलाके के गुंडों को पचा नहीं और उन्होंने कल्पना जी की हत्या की साजिश बना डाली। पर ये उनके अच्छे कर्मों का फल ही था कि हत्या से पहले किसी ने इस साजिश के बारे में उन्हें बता दिया और पुलिस की मदद से वे गुंडे पकड लिए गए।

इसके बाद कल्पना जी अपने पास एक लाइसेंसी रिवाल्वर भी रखने लगीं. उनका कहना था कि मैं बाबा साहेब के इस वचन में यकीन रखती हूँ कि-

सौ दिन भेड़ की तरह जीने से अच्छा है एक दिन शेर की तरह जियो।

आत्महत्या के प्रयास के दौरान वो मौत को इतनी करीब से देख चुकी थीं कि उनके अन्दर से मरने का डर कबका खत्म हो चुका था, उन्होंने अपने दुश्मनों को साफ़-साफ़ चेतावनी दे दी –

इससे पहले की तुम मुझे मारो जान लो की मेरी रिवाल्वर में गोलियां हैं। छठी गोली ख़त्म होने के बाद ही कोई मुझे मार सकता है।

ये मामला शांत होने के बाद उन्होंने ज़मीन पर construction करने की सोची पर इसके लिए उनके पास पैसे नहीं थे इसलिए उन्होंने एक सिन्धी बिजनेसमैन से पार्टनरशिप कर ली। उन्होंने कहा जमीन मेरी है और बनाना आपको है। उसने मुनाफे में 65% अपना और 35 % उनका पर बात मान ली इस प्रकार से कल्पना जी ने 4.5 करोड़ रूपये कमाए।

कमानी ट्यूब्स की बागडोर:

Kamani Tubes की नीव Shri N.R Kamani द्वारा 1960 में डाली गयी थी। शुरू में तो कम्पनी सही चली पर 1985 में labour unions और management में विवाद होने के कारण में ये कम्पनी बंद हो गयी। 1988 में supreme court के आर्डर के बाद इसे दुबारा शुरू किया गया पर एक ऐतिहासिक फैसले में कम्पनी का मालिकाना हक workers को दे दिया गया। Workers इसे ठीक से चला नहीं पाए और कम्पनी पर करोड़ों का कर्ज आता चला गया।

इस स्थिति से निकलने के लिए कमानी ट्यूब्स कम्पनी के workers सन 2000 में कल्पना जी के पास गये। उन्होंने सुन रखा था कि कल्पना सरोज अगर मिट्टी को हाथ लगा दे तो मिट्टी भी सोना बन जाती है।

कल्पना जी ने जब जाना कि कम्पनी 116 करोड़ के कर्ज में डूबी हुई है और उस पर 140 litigation के मामले हैं तो उन्होंने उसमे हाथ डालने से मन कर दिया पर जब उन्हें बताया गया कि इस कम्पनी पर 3500 मजदूरों और उनके परिवारों का भविष्य निर्भर करता है और बहुत से workers भूख से मर रहे हैं और भीख मांग रहे हैं, तो वो इसमें हाथ डालने को तैयार हो गयीं।

बोर्ड में आते ही उन्होंने सबसे पहले 10 लोगों की कोर टीम बनायी, जिसमे अलग-अलग फील्ड के एक्सपर्ट थे। फिर उन्होंने एक रिपोर्ट तैयार करायी कि किसका कितना रुपया बकाया है; उसमे banks के ,government के और उद्योगपतियों के पैसे थे। इस प्रक्रिया में उन्हें पता चला कि कंपनी पर जो उधार था उसमे आधे से ज्यादा का कर्जा पेनाल्टी और इंटरेस्ट था।

कल्पना जी तत्कालीन वित्त मंत्री से मिलीं और बताया कि कमानी इंडस्ट्रीज के पास कुछ है ही नही, अगर आप interest और penalty माफ़ करा देते हैं, तो हम creditors का मूलधन लौटा सकते हैं। और अगर ऐसा न हुआ तो कोर्ट कम्पनी का liquidation करने ही वाला है, और ऐसा हुआ तो बकायेदारों को एक भी रुपया नही मिलेगा।

वित्त मंत्री ने बैंकों को कल्पना जी के साथ मीटिंग करने के निर्देश दिए। वे कल्पना जी की बात से प्रभावित हुए और न सिर्फ ने सिर्फ penalty और interests माफ़ किये बल्कि एक lady entrepreneur द्वारा genuine efforts को सराहते हुए कर्ज मूलधन से भी 25% कम कर दिया।

पद्मश्री पुरस्कार लेते हुए

कल्पना जी 2000 से कम्पनी के लिए संघर्ष कर रही थीं और 2006 में कोर्ट ने उन्हें कमानी इंस्ट्रीज का मालिक बना दिया। कोर्ट ने ऑडर दिया कि कल्पना जी को 7 साल में बैंक के लोन चुकाने के निर्देश दिए जो उन्होंने 1 साल में ही चुका दिए। कोर्ट ने उन्हें वर्कर्स के बकाया wages भी तीन साल में देने को कहे जो उन्होंने तीन महीने में ही चुका दिए। इसके बाद उन्होंने कम्पनी को modernize करना शुरू किया और धीरे-धीरे उसे एक सिक कंपनी से बाहर निकाल कर एक profitable company बना दिया। ये कल्पना सरोज जी का ही कमाल है कि आज कमानी ट्यूब्स 500 करोड़ से भी ज्यादा की कंपनी बन गयी है।

उनकी इस महान उपलब्धि के लिए उन्हें 2013 में पद्म श्री सम्मान से भी नवाज़ा गया और कोई बैंकिंग बैकग्राउंड ना होते हुए भी सरकार ने उन्हें भारतीय महिला बैंक के बोर्ड आफ डायरेक्टर्स में शामिल किया।

सचमुच, कल्पना जी की ये कहानी कल्पना से भी परे है और हम सभी को सन्देश देती है कि आज हम चाहे जैसे हैं, पढ़े-लिखे…अनपढ़ …अमीर..गरीब…इन सबसे कोई फर्क नहीं पड़ता… हम अपनी सोच से… अपनी मेहनत से अपनी किस्मत बदल सकते हैं…हम असंभव को भी संभव बना सकते हैं और अपने बड़े से बड़े सपनो को भी पूरा कर सकते हैं!

Blogging bussiness

Blogging से पैसे कमाने का वो तरीका जो शायद आप नहीं जानते!

दोस्तों मैं 2010 से blogging कर रहा हूँ। मैंने AKC की शुरुआत October 2010 से की थी। तब Hindi Blogging में नहीं के बराबर पैसे थे, कारण था Google Adsense द्वारा हिंदी भाषा को support ना किया जाना। ( इस बारे में details यहाँ पढ़ें )

खैर, 2014 के खत्म होते-होते Hindi bloggers का बरसों पुराना इंतज़ार खत्म हुआ और Adsense Hindi language को support करने लगा। इससे Hindi bloggers भी कुछ पैसे कमाने लगे…जिसका जितना ज्यादा traffic उसको उतने ज्यादा पैसे। हालांकि, ये एकदम से directly proportional नहीं है…क्योंकि आपकी कमाई इसपर भी निर्भर करती है कि आप किस niche में हैं।

For example: एकबराबर traffic पर Tech ब्लॉग्स और Financial ब्लॉग्स, Hindi Stories और Motivational blogs से कहीं ज्यादा कमाते हैं।

Any ways, thanks to Adsense कि मैं और मेरे जैसे और bloggers Hindi blog होते हुए भी अच्छे पैसे कमाने लगे, और मैंने तो हिम्मत करके अपनी नौकरी भी छोड़ दी, आप मेरी story यहाँ पढ़ सकते हैं : एक MNC जॉब छोड़ कर फुल टाइम ब्लॉगर बनने की कहानी

AKC की success से inspire होकर बहुत से लोगों ने Motivational Hindi blogs शुरू किये….I think इनकी संख्या शायद हज़ारों में हो ! इनमे से कुछ blogs काफी सफल भी हुए और ठीक – ठाक पैसे कमाने लगे पर majority of them अभी भी struggle कर रहे हैं और बुरी खबर ये है कि उनका struggle इतनी जल्दी खत्म नहीं होने वाला है।

Reason being:

Hindi Blogs से अच्छे पैसे कमाने के लिए बहुत अधिक traffic चाहिए। और चूँकि Motivation वाली niche में already बहुत से players आ चुके हैं इसलिए competition बहुत है और किसी नए player के लिए जगह बनना इतना आसान नहीं…., of course जगह बनायीं जा सकती है…पर इसमें समय और मेहनत बहुत लगेगी।और बहुत अधिक traffic क्यों चाहिए… क्योंकि इस तरह के Hindi Blogs पर cost per click (CPC), यानि एक click के बदले मिलने वाला  पैसा बहुत कम है… बस 2-3 रुपये, या उससे भी कम।और CPC इसलिए कम है क्योंकि Net पर Hindi में advertise करने वालों की कमी है…मतलब advertisers के बीच competition नहीं है कि उनका ऐड किसी अच्छी Hindi website पर अच्छे spot पर दिखाया जाये।और advertisers के बीच competition कब होगा…. ये कहा नहीं जा सकता…हालाँकि, I am very optimistic कि कभी न कभी ऐसा होगा ज़रूर।

तो ये तो हो गया थोड़ा सा background, अब आते हैं असल मुद्दे पर :

Blogging से पैसे कमाने का वो तरीका जो शायद आप नहीं जानते!

दो-तीन दिन पहले मुझे एक friend से पता चला की कुछ ब्लॉगर्स, ब्लॉगिंग शुरू करने के 1 साल के अंदर ही; लाख रुपये तक की income touch करने लगे हैं। हैरानी की बात ये थी कि ये लोग Hindi bloggers हैं ! मैंने सोचा कि जहाँ अच्छे पैसे कमाने में मुझे सालों लग गए वहीँ ये new comers इतनी जल्दी इतना पैसा कैसे कमाने लगे ?

पहले तो मुझे कुछ doubt हुआ पर फिर मैंने उनकी site देखी। एक site पे मुझे Monthly Income Report भी मिल गयी, जिसे देख कर लगा

यार ये तो कमाल है….

एक महीने में हुए page views: 3 लाख 50 हज़ार

एक महीने में हुई कमाई : करीब 80,000 रुपये

बाप रे!….अगर AKC पे इस हिसाब से कमाई होती तो शायद मैं India के Top Earning Bloggers में आ जाता 

But what is the catch!….ऐसा कैसे हो सकता है ?

Catch है “लिखने के तरीके और blog niche में “

इस तरह से अधिक कमाई करने वाले ब्लॉग : TECH BLOGS हैं, यानि वे technology, blogging, Facebook, Whatsapp, वेबसाइट बनाने जैसी चीजों पे लिखते हैं.और दूसरा वो Hindi में लिखते हुए भी English में लिखते हैं।

यानि जहाँ मुझे “My name is Gopal Mishra” हिंदी में लिखना होगा तो मैं लिखूंगा…” मेरा नाम गोपाल मिश्रा है”
वहीँ ये ज्यादा कमाई करने वाले bloggers लिखेंगे…”mera naam Gopal Mishra hai”

यानि वे A-B-C-D का प्रयोग करके हिंदी लिखते हैं, let us call it Roman Hindi….और मैं क, ख, ग, घ यानि देवनागरी लिपि का प्रयोग करके Hindi लिखता हूँ, जैसा कि हमें बचपन से सिखाया जाता है 

इससे क्या होता है ?

दरअसल, मुझे लगता है कि Google Adsense इस तरह के blogs को English blogs की तरह ही treat करता है और इसीलिए उनके CPC English sites की तरह ही high होते हैं।

यानि, इससे ये होता है कि ऐसे bloggers Hindi भाषियों के लिए लिखते हुए भी कमाई English blogs की तरह ही करते हैं।

मतलब, जहाँ Hindi वाले 1 ऐड click पर 2-3 रुपये कमाते हैं वहीँ English वाले….8-12 रुपये *

लेकिन user experience का क्या ?

मुझे लगता है Hindi पढ़ने वाले proper देवनागरी में लिखी चीजें पढ़ने में ज्यादा comfortable होंगे। But I am not sure, खासतौर से नयी generation कैसे पढ़ने में ज्यादा comfortable है ये मुझे नहीं मालूम।

Actually, SMS और whatsapp के जमाने में करोड़ों लोगों ने इस तरह से ही लिखने की आदत डाल ली है… तो हो सकता है वो इसी में ज्यादा comfortable हों। But personally, मुझे तो चीजें देवनगरी हिंदी में ही पढ़ना सही लगता है।

तो क्या इस तरह से लिख के अच्छी कमाई बस Tech blog से हो सकती है ?

मेरे ख्याल से ऐसा नहीं होना चाहिए। बाकि niche के blogs पर भी English की तरह कमाई होनी चाहिए…but again I am not sure. अगर कोई reader इस बारे में कुछ बता सकता है तो please comment डाल कर हम सबकी मदद करे।

क्या इस तरह से लिखने में कोई risk भी है ?

मुझे लगता है इसमें एक बहुत बड़ा risk हो सकता है….इस बात का risk कि अगर कहीं Google इस तरह से लिखे जाने वाली posts को “English” की बजाये “Hindi” की मानने लगे तो अचानक ही ऐसे bloggers की adsense से कमाई एक-तिहाई या एक-चौथाई हो जाएगी, जोकि एक बड़ा risk है। But ये just एक assumption है की Google ऐसे blogs को English का मान रहा है….अगर ये assumption ही गलत हो तो ये पूरा का पूरा risk अपने आप ही खत्म हो जायेगा।

दूसरा रिस्क है आगे आने वाले समय में Hindi Input tools का usage तेजी से बढ़ेगा…. तब जो लोग हिंदी में चीजें पढ़ना चाहते हैं वे हो सकता है हिंदी में ही type करके search करें।

For ex: अभी query होती है : ” How to make a blog in Hindi?” या ” blog kaise banaye” बाद में query हो जायेगी ” ब्लॉग कैसे बनाएं “

तब देवनागरी वाले blogs search में ऊपर आने लगेंगे….और ऐसे Roman Hindi वाले blogs का ट्रैफिक कम हो जायेगा।

हालांकि, near future में ऐसा कुछ होता नज़र नहीं आ रहा है,but who knows, कब लोगों की search habits बदल जाएँ !

कुछ ऐसा भी है जिससे लगता है कि ऐसे blogs का future bright है ?

बिलकुल है –

Google अपने search queires में Roamn Hindi की queries को index करता है :

अगर आप Google Search Box में जाकर लिखें “ Internet se…” तो अपने आप आ जाता है “ Internet se paise kaise kamaye”

यानि गूगल इस बात को समझता है की लोग इस तरह से भी search करते हैं। और जो चीज masses को पसंद  है Google उसे negate नहीं कर सकता।

एक मजे की बात ये भी है कि-

इस तरह की क्वेरीज- ” Internet se paise kaise kamaye ” के search results बहुत कम हैं … सिर्फ 39000

जबकि अगर आप search करते हैं “ How to earn money from Internet” तो आपको मिलते हैं 5 करोड़ 87 लाख results

और अगर आप search करते हैं “how to earn money from internet in hindi” तो आपको मिलते हैं ग्यारह लाख साठ हज़ार results।

इन numbers का क्या मतलब है ?

इसका मतलब है की Roman Hindi में competition बहुत कम है। इनमे search queries के हिसाब से कम ही content internet पे मौजूद है, यानि आप अगर इस तरह से content develop करते हैं तो आपको competition कम face करना होगा और आप कम time में अधिक traffic attract कर पाएंगे।

और अगर Google इसे English content ही मानता रहा तो आप earning भी अच्छी कर पाएंगे।

दूसरी बात है की Google का Speech के थ्रू query वाल software भी Roman Hindi के लिए designed है।

अगर आप गूगल search box के अंत में जो mic बना है उसपर click करें और फिर अपनी query बोलें “ ब्लॉग कैसे बनाएं ”
तो अपने आप search box में लिख कर आ जाता है “ Blog kaise banaye”…अभी करके देखें …it is quite interesting।

It means, Google फिलहाल speech को English phonetics के हिसाब से ही convert कर रहा है …जोकि Roman Hindi वाले bloggers के लिए एक plus point है।

और सबसे बड़ी बात ये की भले ये bloggers Roman Hindi में लिख रहे हैं, but at the end of the day…वे कुछ valuable content create कर रहे हैं जिसको consume करने के लिए लाखों लोग तैयार हैं। और जहाँ value creation है वहां Google जैसी company को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।और in case होती भी है और वे इस तरह के ब्लॉग्स पर adsense ban भी कर देते हैं, तो और भी बहुत तरीके हैं पैसे कमाने के…बस आपके पास ट्रैफिक होना चाहिए!

To conclusion क्या निकलता है ?

Conclusion ये निकलता है की अगर आप पैसों के लिए blogging करना चाह रहे हैं …जोकि majority of लोग चाहते हैं तो आपके लिए ये Roman Hindi वाला idea beneficial हो सकता है … as you know…इसमें competition कम है और पैसे ज्यादा हैं।

वहीँ अगर आप पैसे भी कमाना चाहता है, हिंदी भाषा को Internet पर promote भी करना चाहते हैं और long term में एक valuable content create करना चाहते हैं तो उसके लिए देवनागरी लिपि का प्रयोग करते हुए हिंदी में content create करना ही बेहतर होगा। क्योंकि ultimately content is the king…अगर आपकी साईट valuable और properly search engine optimized है तो उसपर देर-सबेर ट्रैफिक भी आएगा और अगर ट्रैफिक आएगा तो पैसे भी किसी न किसी तरीके से आ ही जायेंगे…and who knows… जैसे सालों के इंतज़ार के बाद Google Adsense Hindi को support करने लगा, वैसे ही कुछ और सालों के बाद Hindi websites की CPC भी English websites की तरह better होने लगे!

Friends, मैंने इस आर्टिकल में बहुत बार … “शायद… may be…मुझे लगता है” जैसे वर्ड्स यूज किये हैं….which shows कि मैं यहाँ जो लिख रहा हूँ उसे पत्थर की लकीर नहीं माना जा सकता …. आप अपने blogging career के लिए क्या decision लेते हैं ये totally आप पर depend करता है। इस article के जरिये मेरा बस इतना प्रयास है कि आप मौजूदा options को जानें और एक informed decision ले सकें।

I hope, ये post आपके लिए useful रही होगी। और चूँकि ये एक interesting discussion है, इसलिए मुझे आपके comments का इंतज़ार रहेगा …so please let me know about your thoughts…आपकी सोच से हज़ारों और लोगों को भी एक direction मिल सकता है, so keep commenting….keep progressing.

Thank You!

Bussiness Plan

बिजनेस प्लान क्या होता है और इसे कैसे बनाएं?

बिजनेस प्लान क्या होता है? / What is a Business Plan in Hindi? 

बिजनेस प्लान एक ऐसा डॉक्यूमेंट है जो किसी नए बिजनेस से रिलेटेड “क्या”, “क्यों”, और “कैसे” जैसे प्रश्नों का उत्तर देता है। For ex: हमारा बिजनेस क्या है? , हम ये बिजनेस क्यों कर रहे हैं?, हम इसे कैसे करेंगे? etc.

एक business plan किसी बिजनेस को, उसके ओब्जेक्टिव्स को, उसकी strategies को, वो किस मार्केट में में काम कर रहा है और उसके financial forecast क्या हैं बताता है। Business Plan बताता है कि नए बिजनेस का गोल क्या है और उसे कैसे अचीव किया जाएगा। बिज़नस प्लान एक तरह से किसी बिजनेस के गाइड या रोडमैप की तरह है, जो चीजों को ट्रैक पर रखने में मदद करता है।

आमतौर पे बिजनेस प्लान किसी नए वेंचर के लिए बनाया जाता है लेकिन अगर कोई एग्जिस्टिंग बिजनेस कुछ नया कर रहा है तो वो भी बिजनेस प्लान बनाकर आगे बढ़ता है।

दोस्तों जब भी कोई नया बिजनेस शुर करता है तो ज़रूर उसको लेकर कुछ प्लानिंग करता है। वो सोचता है कि मेरा बिजनेस क्या होगा? मैं कहाँ से ये बिजनेस करूँगा? मेरे कस्टमर कौन होंगे? इसमें इन्वेस्टमेंट कितनी लगेगी? हम अपने बिजेनस की मार्केटिंग कैसे करेंगे? हमारा लक्ष्य क्या होगा?, etc. लेकिन बहुत से लोग इन चीजों को प्रोपेर्ली डॉक्यूमेंट नहीं करते। Business Plan दरअसल इन्ही बातों को formally document करना है।

यहाँ ये भी क्लियर करना ज़रूरी है कि बिजनेस प्लान सिर्फ startups ही नहीं बनातीं, बल्कि established businesses भी किसी भी स्टेज पर एक बिजनेस प्लान बना सकते हैं, खासतौर पे जब उन्हें अपना business expand करने के लिए फंडिंग की ज़रूरत हो।

ये भी ध्यान रखिये कि बिजनेस प्लान में लिखी बातें पत्थर की लकीर नहीं हैं, समय समय पर परिस्थितियों के हिसाब से बिजनेस प्लान में बदलाव किया जा सकता है।

कुछ लोग सोच सकते हैं कि आखिर इसकी ज़रूरत क्या है? तो वे ये जान लें कि स्टडीज में पाया गया है कि जो बिजनेस एक अच्छे बिजनेस प्लान के साथ शुरू होते हैं उनकी सक्सेस होने के चांसेज  30% तक बढ़ जाते हैं।

आइये जानते हैं कि:

बिजनेस प्लान की आवश्यकता क्या है? Why do I need a business plan in Hindi

बिजनेस प्लान आपको अपने गोल्स पर फोकस्ड रहने में मदद करता है।

एक अच्छा बिजनेस प्लान बताता है कि:

अगले दो-तीन सालों में आपके key objectives क्या-क्या होंगे?उन ओब्जेक्टिव्स को अचीव करने के लिए आपकी स्ट्रेटेजी क्या होगी औरआपकी priorities क्या होंगी

इन चीजों के अनुसार आप किसी भी समय evaluate कर सकते हैं कि आप जिस direction में बढ़ रहे हैं वो सही है या अपना course change करने की ज़रूरत है।

बहुत से लोग सोचते हैं कि बिजनेस प्लान का रोल बस external funding लेने में होता है। Of course potential investors, banks, venture capitalist आपके आईडिया में पैसा लगाने से पहले बिजनेस प्लान ज़रूर मांगते हैं, लेकिन अगर आप self-funded हैं तो भी आपको बिजनेस प्लान ज़रूर बनाना चाहिए। ऐसा करने का सबसे बड़ा फायदा है कि आपके खुद के दिमाग में clarity आती है कि exactly आप क्या और कैसे करना चाहते हैं।

नीचे दिए गए institutions या लोग आपसे बिजनेस प्लान मांग सकते हैं:

BanksExternal investors – venture capitalist firm या कोई business angel या individual investorकिसी तरह की grant देने वालेआपका बिजनेस खरीदने में इंटरेस्टेड लोगऐसा व्यक्ति या लोग जो आपके बिजनेस पार्टनर बनना चाहते हैंGovernment agencies या officersBusiness Plan बिजनेस का overview देने और आप कैसा परफॉर्म कर रहे हैं, ये demonstrate करने के लिए एक बहुत बढ़िया टूल है।

बिजनेस प्लान कैसे बनाएं? / How to make a business plan in Hindi

बिजनेस प्लान बनाने के लिए आप नीचे बताये गए टेम्पलेट का प्रयोग करें:

बिजनेस प्लान टेम्पलेट Business plan template in Hindi

कैसे बनाऊं एक बिजनेस प्लान?

आम तौर पे किसी बिजनेस प्लान में निम्लिखित सेक्शन्स होते हैं:

1. एग्जीक्यूटिव समरी (कार्यकारी सारांश) / Executive Summary

Executive Summary अपनी पूरी योजना के मुख्य बिंदुओं का एक सार है। इसमें बिजनेस प्लान के बाकी सेक्शन्स की मुख्य बात include होती है। इसमें business opportunity के key features से लेकर फाइनेंसियल फोरेकास्ट्स की प्रमुख बातें बताई जाती हैं।

इसका उद्देश्य होता है कि बिजनेस की बेसिक बातों को अच्छे से बताया जाए। अगर एग्जीक्यूटिव समरी पढने के बाद कोई ये समझ लेता है कि बिजनेस किस बारे में है और इसके बारे में और अधिक जानना चाहता है तो समझिये एग्जीक्यूटिव समरी ने अपना काम कर दिया है।

Executive Summary बहुत लम्बी नहीं होनी चाहिए- 2 पेज पर्याप्त हैं, साथ ही कोशिश करनी चाहिए कि ये रोचक भी हो ताकि potential investors इसे पढ़ कर आगे और जानना चाहें।

चूँकि इस सेक्शन में बाकी के बिजनेस प्लान का सार होता है इसलिए इसे अंत में लिखना बेहतर रहता है।

2. इंट्रोडक्शन और कम्पनी ओवरव्यू / Introduction and Company Overview

Business opportunity का छोटा सा डिस्क्रिप्शन- आप कौन हैं, आप क्या बेचने या ऑफर करने का प्लान कर रहे हैं, क्यों, और किसे।
बिजनेस के ओवरव्यू के साथ शुरू करें:

आपने बिजनेस कब शुरू किया या कब से शुरू करने का प्लान कर रहे हैंअब तक कितना इन्वेस्टमेंट किया जा चुका हैकितनी प्रोग्रेस हुई हैआपका बिजनेस किस टाइप का है और किस सेक्टर में आता हैकोई इतिहास- जैसे कि, यदि आपने ये बिजनेस किसी से buy किया, तो पहले इसका मालिक कौन था और उन्होंने इससे क्या हासिल कियाइस समय का लीगल स्ट्रक्चरआपका future vision

इसके बाद अपने प्रोडक्ट्स और सर्विसेज को सरल शब्दों में बताइए और समझिए कि:

इसे क्या अलग बात हैये क्या बेनेफिट्स देता हैक्यों कस्टमर्स अन्य competitors की बजाये आपसे इसे खरीदेंगेआप अपने products या services को कैसे डेवेलप करने की योजना बना रहे हैंक्या आपके पास कोई पेटेंट्स, ट्रेड मार्क्स या डिजाईन रजिस्ट्रेशन हैंआपकी इंडस्ट्री के key features और success factors क्या-क्या हैं

अपना बिजनेस समझाने में business jargons का प्रयोग मत करिए, सरल शब्दों में अपनी बात रखिये ताकि एक आम इंसान भी चीजों को अच्छे से समझ सके।

3. बाज़ार और कम्पटीशन / Market and Competitors

इस सेक्शन में आपको अपना बाज़ार, उसमे आपकी पोजीशन और अपने competitors को डिफाइन करना चाहिए। ऐसा करने के लिए आप किसी मार्केट रीसर्च जो आपने की हो का रिफरेन्स दे सकते हैं। इसमें आपको ये दर्शाना होता है कि आपको जिस मार्केट में काम करना है उसकी आपको अच्छी समझ है और आप ज़रूरी ट्रेंड्स और market conditions को समझते हैं।

इसमें आपको ये बताने की कोशिश करनी होती है कि प्रतिस्पर्धा के बावजूद आप customers को attract कर पायेंगे और अपना बिजनेस रन कर पायेंगे।

इन चीजों को इस सेक्शन में रखा जा सकता है:

आपका मार्केट- उसकी साइज़, उसके विकास का इतिहास, और key current issuesआपका टार्गेट कस्टमर बेस- वे कौन हैं और आप कैसे कह सकते हैं कि वे आपके products और services में interested होंगेआपके competitors- वे कौन हैं, वे कैसे काम करते हैं और उनका market share कितना हैभविष्य- आगे चल कर इस बिजनेस में क्या बदलाव आ सकते हैं और आप उसपर कैसे react करेंगे

अपनी तुलना में अपने competitor की strength और weakness जानना ज़रूरी है- और अच्छा होगा कि आप अपने main competitors की competitor analysis कर लें।

याद रखिये मार्केट हमेशा बदलता रहता है- आपके कस्टमर्स की ज़रूरतें बदल सकती हैं और आपके competitor भी बदल सकते हैं। इसलिए आपको इन बातों को भी माइंड में रख कर आगे बढ़ना होगा।

4. सेल्स और मार्केटिंग स्ट्रेटेजी / Sales and Marketing Strategy

आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि आप जो बेचना चाहते हैं या जो सर्विस देना चाहते हैं वो लोग क्यों लेंगे और आप उसे किस तरह कस्टमर तक पहुंचाना चाहते हैं।

डिस्क्राइब करिए कि आप अपनी products और services को प्रमोट और सेल करने के लिए क्या-क्या activities करेंगे। अकसर ये किसी बिजनेस प्लान की कमजोर कड़ी होती है इसलिए इस पर समय देना चाहिए और एक realistic और achievable approach अपनाना चाहिए।

आपके प्लान को इन प्रश्नों का उत्तर देना चाहिए:

आप किसी तरह अपने प्रोडक्ट या सर्विस को मार्किट में पोजीशन करने का प्लान कर रहे हैं।आपके कस्टमर्स कौन हैं? उन कस्टमर्स की डिटेल दीजिये जिन्होंने आपके प्रोडक्ट या सर्विस में रूचि दिखाई है। और बताइए कि आप नए कस्टमर्स को कैसे attract करने का प्लान कर रहे हैं।आपकी pricing policy क्या है? अलग-अलग सेग्मेंट्स के कस्टमर्स से आप किस तरह चार्ज लेंगे?आप अपने प्रोडक्ट या सर्विस को कैसे प्रमोट करेंगे? अपने सेल्स प्रोसेस मेथड को identify करिए, for e.g: डायरेक्ट मार्केटिंग, advertising, social media, etcआप अपने कस्टमर्स तक कैसे पहुंचेंगे? आप किन चैनल्स का इस्तेमाल करेंगे? आपके distribution channel में किन partners की ज़रूरत पड़ेगी?आप अपनी selling कैसे करेंगे? क्या आपका कोई सेल्स प्लान है ? क्या आपने सोचा है कि आपके लिए कौन सा सेल्स मेथड सबसे अच्छा होगा, फ़ोन से, इन्टरनेट के माध्यम से, दूकान खोल कर या door to door मार्केटिंग करके सेल करना? और क्या आपका proposed sales method आपके मार्केटिंग प्लान से मेल खाता है? और क्या आपके और आपके टीम के पास इस मेथड के लिए पर्याप्त स्किल्स हैं?

5. ऑपरेशंस / Operations

आपके बिजनेस प्लान में आपकी premises, production facilities, management information system और Information Technology के बारे में जानकारी होनी चाहिए।

आपको इन चीजों पर फोकस करना चाहिए:

लोकेशन 

क्या आपकी कोई बिजनेस प्रॉपर्टी है?क्या आप इस प्रॉपर्टी के मालिक हैं या ये रेंटेड है?आपकी मौजूदा लोकेशन के क्या फायदे और नुक्सान हैं?

प्रोडक्ट्स और सर्विसेज का उत्पादन

क्या आपको अपनी प्रोडक्शन फैसिलिटीज की ज़रूरत है या इसे outsource करना सस्ता पड़ेगा?अगर आपकी अपनी production facility है तो वो कितनी मॉडर्न हैं?एक्सपेक्टेड डिमांड की तुलना में आपके फैसिलिटी की कैपेसिटी कितनी है?क्या किसी इन्वेस्टमेंट की ज़रूरत पड़ेगी?आपके सप्लायर्स कौन होंगे?

मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम्स (प्रबंधन सूचना प्रणाली) 

क्या आपके पास स्टॉक कण्ट्रोल, मैनेजमेंट एकाउंट्स और क्वालिटी कण्ट्रोल के लिए robust procedures हैं?क्या भविष्य में एक्सपैंड करने पर ये सिस्टम अपग्रेड हो सकते हैं?

सूचना प्रौद्योगिकी Information technology

अब लगभग हर बिजनेस में IT का रोल महत्त्वपूर्ण हो गया है, इसलिए इस एरिया में अपने strength और weaknesses को include करिए।अपने सिस्टम की विश्वसनीयता और नियोजित विकास को आउटलाइन करिए।

6. फाइनेंसियल इनफार्मेशन ( वित्तीय जानकारी) / Financial Information

इससे पहले के सेक्शन्स में आपने अब तक जो कुछ भी कहा है उसे नंबर्स में प्रेजेंट करना होता है।

आपको इन चीजों को ध्यान से देखना होगा:

आगर आप एक्सटर्नल फंडिंग का सोच रहे हैं तो आपको कितना कैपिटल चाहिए होगाआप देनदारों को as a security क्या दे सकते हैंआप अपना लोन कैसे चुकाने का प्लान कर रहे हैंआपके रेवेन्यु और इनकम के स्रोत क्या-क्या हैं या होंगे

फाइनेंसियल प्लानिंग (वित्तीय योजना ) 

आपका forecast अगले 3 या 5 साल तक का होना चाहिए। पहले 12 महीनो का फोरकास्ट पूरी डिटेल के साथ होना चाहिए। आप अपनी प्रोजेक्शन्स के पीछे के ऐज्म्पश्न्स को ज़रुर बताएं ताकि बिजनेस प्लान पढने वाले को ये समझ आ सके कि आप इन नंबर्स तक कैसे पहुंचे।

आपके फोरकास्ट में क्या-क्या होना चाहिए?

कैश फ्लो स्टेटमेंट्स – आपका cash balance और अगले 12 से 18 महीनो के लिए cashflow pattern कैसा होगा, ये बताना चाहिए। इसका लक्ष्य है ये ensure करना कि आपके बिजनेस को जारी रखने के लिए आपके पास पर्याप्त वर्किंग कैपिटल होगा। इसके लिए आपको अपनी सेल्स और एम्प्लाइज की सैलरी, और बाकी खर्चों को ध्यान में रखना होगा।

प्रॉफिट एंड लॉस फोरकास्ट- अपनी प्रोजेक्टेड सेल्स, और खर्चों को ध्यान में रखकर आप कितना प्रॉफिट / लॉस एक्स्पेक्ट कर रहे हैं। अक्सर नए बिजनेस शुरू में लॉस में चलते हैं और बाद में प्रॉफिट में आ पाते हैं।

अपने फोरकास्ट में कई बार लोग over optimistic हो जाते हैं बड़े-बड़े नम्बर्स दे देते हैं। बेहतर होगा कि आप जितना उम्मीद कर रहे हैं उससे कम ही सेल्स शो करें।

रिस्क एनालिसिस ( जोखिम विश्लेषण)

फाइनेंसियल फोरकास्ट के साथ-साथ ये एक अच्छी प्रैक्टिस है कि आप ये दिखाएं कि आपने अपने बिजनेस में आने वाले संभावित खतरों को भी एनालाइज कर लिया है। और साथ ही आप इनसे निपटने के लिए insurance या अन्य तरीकों को consider कर रहे हैं।

रिस्क एनालिसिस में इन फैक्टर्स का ध्यान रखना होगा:

कॉम्पटीटर द्वारा कोई एक्शनकॉमर्शियल इश्यूज – सेल्स, prices, deliveriesऑपरेशनस- IT, technology और प्रोडक्शन फेलियरस्टाफ- स्ट्राइक, पोचिंग*, high salary demandप्राकृतिक आपदाएं / Act of God- बाढ़, भूकम्प, आग लगना

7. अपेंडिक्स 

हालांकि ये ज़रूरी नहीं है पर आप चाहें तो बिजनेस प्लान के अंत में आप एक अपेंडिक्स भी ऐड कर सकते हैं। इसमें पूरे प्लान के supporting documents add किये जा सकते हैं।

For example:

Charts, graphs, or tablesवेंडर्स के साथ आपके कॉन्ट्रैक्ट पेपर्सआपके लिसेंस, पेटेंट्स, ट्रेडमार्क्स, इत्यादिप्रमुख एम्प्लाइज के CVsरेंट अग्रीमेंट, लीज अग्रीमेंट, इत्यादिKey contacts की डिटेल्सEtc

बिजनेस प्लान बनाने के लिए कुछ टिप्स / Tips for making a Business Plan in Hindi

प्लान को छोटा रखें- अगर प्लान बहुत लम्बा होगा तो इसे पढने के chances कम हो जायेंगे।प्लान में numbering के साथ content page ज़रूर include करेंएग्जीक्यूटिव समरी को अंत में लिखेंफॉण्ट साइज़ बहुत छोटा ना रखेंभले ही प्लान in-house use के लिए बनाया जा रहा हो पर आप यही सोच कर बनाएँ कि इसे कोई बाहरी पार्टी भी पढ़ सकती हैप्लान को सावधानी से एडिट करें- इसमें आप अनुभवी लोगों या एक्सपर्ट्स की मदद ले सकते हैंकिसी आम आदमी से प्लान शेयर करें और जानने की कोशिश करें कि वो चीजों को आसानी से समझ पा रहा है या नहीं। जहाँ दिक्कत हो वहां चीजों को और सिंपल तरीके से बताने का प्रयास करेंजार्गन्स अवॉयड करेंजहाँ अधिक डिटेल देनी पड़े वहां चीजों को अपेंडिक्स में डाल दें और बाकी सेक्शन्स हल्का रखेंगलती से कोई confidential details प्लान में include ना करेंकुछ चीजें जैसे कि, स्टाफ ट्रेनिंग प्लान और डिटेल्ड सेल्स प्लान बिजनेस प्लान में ना ही include करें, भले आप ये मेंशन कर दें कि ये आपके पास मौजूद हैंप्लान खुद ही बनाएं या अपने guidance में अपनी टीम से बनवाएंप्लान की एक-एक चीज को बारीकी से समझें ताकि आप किसी भी तरह के प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर दे सकेंये भी ensure करें कि आपका प्लान realistic हैसमय के साथ प्लान को update करते रहें

दोस्तों, इस पोस्ट के माध्यम से मेरा उद्देश्य है कि आप किसी बिजनेस प्लान के basics को समझ सकें। हो सकता है यहाँ बतायी गयी कई बातें आपको ठीक से समझ ना आई हों, but don’t worry, मैं जल्द ही बिजनेस प्लान का एक example share करूँगा और उससे चीजें और भी क्लियर हो जायेंगी।

बिजनेस प्लान का आईडिया लगने के बाद मैं उम्मीद करता हूँ कि अगर आप कोई नया बिजनेस स्टार्ट कर रहे हैं या existing business को expand कर रहे हैं तो आप इस डॉक्यूमेंट को ज़रूर बनायेंगे। I know, इसे बनाने में थोड़ा समय लगेगा और ये आपको एक boring task भी लग सकता है पर यकीन जानिये अगर आप seriously इस पर काम करेंगे तो खुद में आपको अपने बिजनेस को लेकर काफी clarity आ जायेगी और ऐसा होने पर आपके वेंचर के सफल होने के chances काफी बढ़ जायेंगे।

एक और बात ये कि बिजनेस प्लान सिर्फ बड़े-बड़े million dollars बिजनेसेस के लिए नहीं होता, ये medium size या small businesses के लिए भी उतना ही ज़रूरी है। हाँ, ये ज़रूर है कि स्माल बिजनेसेस का बिजनेस प्लान थोड़ा ब्रीफ होगा और ये भी हो सकता है कि उसमे आप कुछ सेक्शंस को ना शामिल करें, लेकिन समझदारी इसी में है कि आप चाहे जिस साइज़ का बिजनेस प्लान कर रहे हों बिजनेस प्लान जरुर बनाएं।