Saturday 24 February 2018

Job change karte samay savdhani

जॉब चेंज करते समय , सैलरी को लेकर ध्यान रखें यब 7 बातें         अगर आप नौकरी बदल रहे हैं, तो नए इम्प्लॉयर के साथ सैलरी पर बातचीत करते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। आमतौर पर यूथ जेनरेशन और महिलाएं सैलरी के लिए बारगेन नहीं करते या बहुत जल्दी सैलरी के लिए हां या न कर देते हैं। ऐसा करने से हम हमेशा अपनी वैल्यू से कम सैलरी पाते हैं। आपको ऐसी 7 सावधानियां बता रहा है, जो सैलरी पर बात करते समय अपनानी चाहिए

सैलरी ऑफर  पर बारगेन न करना
युवा वर्ग और महिलाएं अक्सर ये गलतियां करती हैं। वह ऑफर सैलरी पर बारगेन नहीं करते। जबकि,अगर ये लगता है कि आपको सैलरी कम ऑफर की गई है तो उस पर बारगेन करें। बेहतर सैलरी की मांग करे। कम सैलरी स्वीकार करने से शॉर्ट टर्म में आप कम कमाएंगे और वेतन बढ़ोतरी कम होगी। लंबे समय में नौकरी बदलने पर भी आपके वेतन बढ़ोतरी अन्य के मुकाबले कर रहेगी। ऑफर सैलरी पर बारगेन करना गलत नहीं है। ये आपका अधिकार है।

अपनी सैलरी के बारे में न बताएं
इम्प्लॉयर को कभी भी अपनी सैलरी के बारे में न बताएं। इंटरव्यू के दौरान आप ये कभी न बताए की आप कितनी सैलरी लेना चाहते हैं। अक्सर नौकरी देने वाले ये पूछते हैं कि आप कितनी सैलरी लेना चाहते हैं। आप सैलरी को नेगोशिएबल रखें। सैलरी को बताकर फिक्स न कर दें। 

अपनी जरूरत पर फोकस करें
आप अपनी वैल्यू से ज्यादा जरूरत पर फोकस करें। इम्प्लॉयर ये कभी नहीं सोचेगा कि आप अपना लोन भर पाएंगे या नहीं, बच्चों की फीस भर पाएंगे या नहीं,आपका खर्च चलेगा या नहीं। सैलरी पर बातचीत करने से पहले अपनी जरूरतों पर रिसर्च कर लें कि आपको अपने खर्च और सेविंग के लिए कितनी न्यूतम सैलरी चाहिए। आप इंटरव्यू में अपनी जरूरत पर फोकस करें न कि वैल्यू पर।

अपनी मार्केट वैल्यू का कैलकुलेशन कर लें
अब काफी सारे ऑनलाइन टूल मौजूद हैं जो आपकी इंडस्ट्री और अनुभव के मुताबिक सैलरी बताते हैं। इससे आप अपनी मार्केट वैल्यू जान सकते हैं। आप ऑनलाइन अपने नए इम्प्लॉयर का सैलरी स्ट्रक्चर और परफॉर्मेंस अप्रेजल चेक कर सकते हैं। अगर आप सैलरी नेगोशिएट नहीं कर रहे हैं। तो आपको ये पता होगा कि मार्केट में आपकी और कंपनी की क्या वैल्यू है।

सैलरी नेगोसिएशन को पर्सनली न ले
सैलरी नेगोशिएशन प्रॉसेस को पर्सनली न लें। इम्प्लॉयर के साथ जॉब और सैलरी की बातचीत का अगर कोई हल नहीं निकलता, तो नाराज या परेशान न हों। आप अपने इम्प्लॉयर को धन्यवाद करें और भविष्य में साथ काम करने का भरोसा जताकर आगे बढ़ जाएं। क्योंकि,अगली जॉब ऑफर में आपको कभी भी पुराने लोग मिल सकते हैं। इसलिए रिश्ते या छवि खराब करने से कोई फायदा नहीं है।

ऑफर लेटर ई-मेल पर मंगाना क्यूं है जरूरी

सैलरी का फाइनल ऑफर राइटिंग में लें।आप जो भी सैलरी लेना स्वीकार करते हैं, उसे ई-मेल पर मंगाए। अपने इम्प्लॉयर से जॉब ऑफर और सैलरी स्ट्रक्चर की जानकारी ई-मेल पर मंगाए। इससे किसी भी इम्पलॉयर को परेशानी नहीं होनी चाहीए। अगर कंपनी या इंप्लॉयर ऐसा करने से मना करता है,तो वहां नौकरी करने को लेकर सजग हो जाए कि कहीं आप गलत फैसला तो नहीं ले rahe hain

जब करनी हो सैलरी पर बात

नौकरी पहली हो या फिर आप अपनी तरक्की के लिए दूसरी किसी कंपनी में इंटरव्यू देने जा रहे हों, तनख्वाह को लेकर नेगोसिएशन हर हाल में होना चाहिए। यहां बस जरूरत होती है कि आप कितने आत्मविश्वास और तर्क  के साथ अपनी बात रख पाते हैं। इंटरव्यू के दौरान सैलरी पर बातचीत क्यों है जरूरी बता रहे हैं  पंकज घिल्डियाल

सैलरी डॉट कॉम के एक सर्वे के मुताबिक सिर्फ 37 फीसदी  उम्मीदवार ही सैलरी के लिए नेगोशिएट यानी कि आय को लेकर मोल-भाव करते हैं, वहीं 18 प्रतिशत झिझक के कारण कभी सैलरी के संबंध में कोई बात ही नहीं करते। 44 फीसदी ने कंपनी में रहते हुए अपने परफॉर्मेंस रिव्यू में कभी भी सैलरी के मुद्दे पर बात ही नहीं की।

'वूमेन डोन्ट आस्क' की लेखिका लिंडा ने अपने सर्वे में काफी रोचक बातें साझा की हैं। सर्वे के मुताबिक सिर्फ 7 प्रतिशत महिलाएं ही अपनी पहली नौकरी में नेगोशिएट करती हैं, वहीं 57 प्रतिशत पुरुष ऐसा करने में कामयाब होते हैं। मगर यह भी सच है कि जिन्होंने सैलरी पर बात करने की पहल की, उनके वेतन में 7 प्रतिशत का इजाफा हुआ। लेखिका के अनुसार इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि एक कर्मचारी के रूप में आप पुरुष हैं या महिला आपको अपनी बेहतरी के लिए नेगोशिएट हर हाल में करना चाहिए।

साइकोलॉजी टुडे में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार अगर आपके पास नेगोशिएशन के विकल्प हैं तो हमेशा गुरुवार या फिर शुक्रवार का दिन चुनें। इस दिन की मीटिंग्स अधिकतर कैंडिडेंट के लिए फायेदमंद रही हैं। माना गया है कि नियोक्ता इन दिनों काम को लेकर किसी जल्दबाजी में नहीं  दिखते। आपकी बातें ध्यान से सुनी जाती हैं, इसीलिए आप अपनी बात कहने और मनवाने में कामयाब भी हो जाते हैं।

जानते हैं इंटरव्यू के दौरान सैलरी पर अपनी बात कैसे रखें-

मार्केट वैल्यू
सैलरी पर बात करते हुए आत्मविश्वास के साथ अपनी बात रखें। आप क्या-क्या नया कर सकते हैं, इस पर अधिक जोर दें। अपनी नई स्किल्स, जिम्मेदारियां, आपकी मार्केट वैल्यू और आपका आगे बढ़ने का क्या प्लान है, जैसी बातों पर चर्चा बनाएं रखने का प्रयास करें। चर्चा के दौरान अपनी मार्केट वैल्यू के आंकड़े भी सामने रखें। सैलरी बढ़ोतरी के समय बातचीत करते समय अपने टैलेंट पर भरोसा रखें। निजी जरूरत को आधार बना कर कभी भी नेगोशिएट न करें।

कैसी हो स्क्रिप्ट
आप कैसे नेगोशिएट करते हैं यह आपका हुनर है। न्यूज एंड वल्र्ड्स की रिपोर्ट के अनुसार नए लोगों को कुछ इस तरह बात करनी चाहिए- 'मैं यहां काम करने के लिए बेहद उत्सुक हूं और मैं जानता हूं कि मैं अपने इस रोल में बहुत कुछ नया और अच्छा कर सकता हूं। मैं आपके दिए ऑफर 38000 रुपए  की कद्र करता हूं, लेकिन  मैं अपने अनुभव व परफॉर्मेंस को ध्यान में रखते हुए 48000 रुपए की सीमा के आसपास के ऑफर की उम्मीद कर रहा था। क्या हम इस पद के लिए इस रेंज पर बात कर सकते हैं?' सैलरी का ऑफर लेटर मिलने के बाद सैलरी के लिए कभी भी नेगोशिएट न करें, ऑफर लेटर मिलने से पहले ही सारी बातों को ठीक से समझ लें।

रिसर्च वर्क
मार्केट और कंपनी पर पूरी रिसर्च करें। आपको पता होना चाहिए कि आपके अनुभव और योग्यता पर इंडस्ट्री कितनी सैलरी ऑफर कर रही है। जिस भी कंपनी में नौकरी करने जा रहे हैं, उसकी पूरी जानकारी रखें। इसके कई स्रोत हो सकते हैं। ऑनलाइन रिसर्च से इसकी शुरुआत की जा सकती है। आज पेस्केल व ग्लासडोर जैसी कई साइट्स हैं, जो आपकी इंडस्ट्री में आपके अनुभव के आधार अनुमानित वेतन की जानकारी देती हैं। इसके अलावा प्रोफेशनल नेटवर्क लिंक्डइन से भी मदद ली जा सकती है। प्रोफेशनल और रिक्रूटमेंट कंसल्टेंट से भी बात की जा सकती है। जब भी सैलरी पर बात हो तो टेक होम सैलरी राउंड फिगर में, जैसे कि 55000 की बजाय  54750 कहेंगे, तो सामने वाला समझ जाएगा कि आपने अच्छा रिसर्च किया है। विभिन्न स्टडी से यह बात सामने आई है कि 95 फीसदी मामलों में एंप्लॉयर पहली बार में बेस्ट डील ऑफर नहीं           करते।

बातचीत से पहले खुद को करें  ऐसे तैयार
उतावले न बनें
हो सकता है कि आपको नौकरी की सख्त जरूरत हो और अच्छी सैलरी की भी, मगर आपकी बॉडी लैंग्वेज से यह बात इंटरव्यू के वक्त नियोक्ता के सामने नहीं आनी चाहिए। जैसे ही नियोक्ता को पता चलता है कि आपको नौकरी की अधिक जरूरत है तो मनमुताबिक सैलरी की तो भूल ही जाएं। इंटरव्यू के दौरान बातचीत व पत्राचार काफी नपा-तुला रखें। इसी से आप अच्छी सैलरी की उम्मीद कर सकते हैं।

बैकअप प्लान
आप शुरुआत में किसी कंपनी का ऑफर ठुकराने की स्थिति में तभी हो सकते हैं, अगर आपके पैरों तले जमीन ठोस होगी। किसी भी ऑफर को ठुकराने से पहले आपको पता होना चाहिए कि यहां नहीं तो दूसरी जगह आप आसानी से काम ढूंढ़ लेंगे। वहीं आपकी आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत हो कि आप कुछ और समय तक नौकरी की तलाश कर सकते हों। अगर ऐसा नहीं है तो इसके उलट 'जो मिल रहा है, बस वही पकड़ लो' वाली नीति अपनानी पड़ती है। ऑफर नहीं लेने पर आप क्या करेंगे? बैकअप प्लान होने पर ही बिना किसी डर के बातचीत की जा सकती है और बेहतर सैलरी स्ट्रक्चर हासिल किया जा सकता है। कुछ महीने की बचत और आय के अन्य स्रोत होने पर बातचीत के दौरान उम्मीदवार का आत्मविश्वास बढ़ता है।

फायदे गिनाएं
अगर आप कंपनी को यह बताने में कामयाब हो जाते हैं कि आप कंपनी के लिए कितने फायेदमंद हो सकते हैं तो समझें आपने आधी जंग जीत ली है। नियोक्ता आपको आपकी मनचाही सैलरी में नियुक्त करने के लिए उतावला दिखेगा, आप नहीं। कंपनी को बताएं कि आप को नियुक्त करने से कंपनी को क्या-क्या फायदे हो सकते हैं और आप जो वेतन लेंगे वह किस तरह कंपनी को मिले लाभ के सामने बहुत कम है।  आप अपने एंप्लॉयर को यह जरूर बताएं कि आपके पास यह एकमात्र ऑप्शन नहीं है। दूसरी कंपनियां आपको कितना ऑफर कर रही हैं, यह आपकी डील को बेहतर करने में मदद करेगा।

सबकुछ न बताएं
हमेशा अपनी योग्ताओं, अपनी जॉब प्रोफाइल आदि के बारे में अधिक से अधिक चर्चा करें, मगर जहां आपके निजी खर्चों के बारे में पूछा जाए तो सीधे-सीधे बताने से हमेशा बचें। सैलरी की बात करते समय कभी असहज न दिखें, क्योंकि इससे आपको कोई फायदा नहीं होने वाला। सैलरी की बात करते समय भी कूल रहें और अपनी बात तर्कपूर्ण ढंग से उनके सामने रखें।

हमेशा इस डर में ही न जिएं कि अगर यह नौकरी आपके हाथ से चली गई तो क्या होगा। खुद में विश्वास  रखें और यह भी दिखाएं कि आप इस नौकरी पर ही निर्भर
नहीं हैं।

वेतन से जुड़े हर पहलू पर सोच-समझ कर लें जरूरी फैसले

सैलरी की पहल
खुद से कभी भी सैलरी जैसे मामले पर बात करने की पहल न करें। कई बार कुछ लोग सैलरी पर पहल कर अपने अनाड़ी होने सबूत देते हैं। ऐसे में नियोक्ता आप ही से आपकी अनुमानित सैलरी के बारे में पूछेगा और उसमें भी नेगोशिएट करने का मौका नहीं जाने देगा। सैलरी का जिक्र पहले एंप्लॉयर करे, तो बेहतर होगा।  

बातें लिखित हों
कई बार हायरिंग मैनेजर उम्मीदवार से कहते हैं कि अगले छह महीने में आपको इन्क्रीमेंट दे दिया जाएगा। अगर मैनेजर की मंशा सचमुच ऐसी है, तो इसे लिखित में लेने पर जोर डालें। अगर आपको लिखित में कुछ नहीं मिलता तो समझ जाएं कि यह सिर्फ वादा है, जो कभी पूरा नहीं होने वाला।

अच्छा नेटवर्क रखें
अगर आपका अच्छा नेटवर्क है तो यह जानना बहुत कठिन नहीं है कि आपके दोस्त को फलां कंपनी में में कितनी सैलरी ऑफर की जा रही है, इससे सैलरी की बात करने में आपको एक आइडिया लेने में मदद मिलेगी।

सैलरी कैल्कुलेशन पहले करें
पिछले साल कैंपस इंटरव्यू से सिद्धार्थ सिंह को  गुड़गांव की एक आईटी कंपनी में नौकरी मिली।  इंटरव्यू के समय उन्हें 3 लाख का पैकेज  ऑफर किया गया। यानी 25000 रुपए महीना। महीने के आखिर में उनके हाथ में सिर्फ 21,500 रुपए का चेक आया तो सिद्धार्थ का परेशान होना लाजिमी था। ऐसा इसलिए हुआ कि बहुत से लोगों की तरह सिद्धार्थ को भी ग्रॉस सैलरी, इन हैंड सेलरी जैसे टर्म की बहुत जानकारी नहीं थी।  नेट सैलरी यानी कि इन हैंड सैलरी वो सैलरी होती है, जो कर्मचारी असल में घर लेकर जाता है, सभी टैक्स और कटौतियों के बाद। ग्रॉस सैलरी में से इन्कम टैक्स डिडक्शन, ईपीएफ आदि कटने के बाद नेट सैलरी बनती है।  सीटीसी वो राशि नहीं होती जो कर्मचारी अपने घर लेकर जाता है। टेक होम रकम नेट सैलरी होती है, जिसमें ग्रॉस सैलरी और डिडक्शन जोड़े नहीं जाते।



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