Thursday 15 March 2018

About interest (money)

सूदखोरी में फंस सैकड़ों बर्बा

रतलाम। पुख्ता कानून और नियम होने के बाद भी शहर में सूदखोरों के जाल में फंसे सैंकड़ों परिवारों को कोई राहत नहीं मिल पा रही है। छुटभैये,गुंडे, कुछ पुलिसवालों के करीबी और दुकान खोलकर व्यापार की आड़ में ब्याज का धंधा कर रहे सूदखोरों पर नकेल कसने के लिए पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई में रसूखदारों की भूमिका भी आड़े आ रही है।

रतलाम। पुख्ता कानून और नियम होने के बाद भी शहर में सूदखोरों के जाल में फंसे सैंकड़ों परिवारों को कोई राहत नहीं मिल पा रही है। छुटभैये,गुंडे, कुछ पुलिसवालों के करीबी और दुकान खोलकर व्यापार की आड़ में ब्याज का धंधा कर रहे सूदखोरों पर नकेल कसने के लिए पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई में रसूखदारों की भूमिका भी आड़े आ रही है। 10 से 40 प्रतिशत तक ब्याज वसूली से पीड़ित परिवारों के सामने जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है।

ब्याजखोरों से परेशान होकर जान देने या जहर खाने के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। पुलिस ने ताजा मामले में कार्रवाई करते हुए नौ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया लेकिन कई मामलों में पुलिस तक शिकायत नहीं पहुंच पाती। वजह यह भी है कि सूदख़ोर कई बार बाजार में पुलिसवालों और राजनेताओं के साथ बैठक करते हुए दिखाई देते हैं। इसमे ंसे कुछ तो पुलिसवालों के बेहद करीबी भी हैं। ऐसे में पीड़ित व्यक्ति इनकी शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता।

पासबुक, एटीएम और चेक रखते हैं

ब्याजखोर राशि देने के साथ ही पीड़ित से कई ब्लैंक चेक, एटीएम कार्ड व बैंक की पासबुक तक रख लेते हैं। शासकीय सेवक होने पर वेतन खाते में जमा होते ही एटीएम या चेक लगाकर राशि सीधे सूदखोर निकाल लेते हैं। इसके चलते वेतन वाले दिन बैंकों के आसपास ब्याजखोरों की जमात दिन भर खड़ी दिखाई देती है। सूदखोरों का ब्याज 10 से 40 प्रतिशत तक होता है वहीं प्रतिदिन की किस्त तय करने के बाद नहीं देने पर पैनल्टी के नाम पर अलग से वसूली की जाती है।

जमा राशि का सबूत नहीं

ब्याजखोर सीधे एटीएम से राशि निकाल लेते हैं जिसके चलते पीड़ित व्यक्ति के पास ब्याज के रूप मे जमा की गई राशि को लेकर कोई सबूत नहीं रहता। शिकायत करने पर ब्याजखोर मामले से पल्ला झाड़ लेते हैं और ब्लैंक चेक में मनमानी रकम भरकर किसी अन्य करीबी के नाम से बैंक में लगाकर बाउंस कराने के बाद कोर्ट में केस लगा देते हैं। इससे पीड़ित दोहरी परेशानी में पड़ जाता है।

कई पीड़ित हैं शहर में

रेलवे सहित अन्य शासकीय उपक्रमों में काम करने वाले कर्मचारी, छोटे व मध्यम व्यापारी, निजी क्षेत्र में नौकरीपेशा आदि में कई लोग ब्याजखोरों के चंगुल में फंसे हुए हैं। ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण कई बार पीड़ित आत्महत्या करने जैसा कदम भी उठा चुके हैं।

लायसेंस लेना जरूरी

नियमानुसार ब्याज पर पैसा चलाने के लिए नगर निगम व प्रशासन से लायसेंस लेना जरूरी है। इसमें भी ब्याज भी बैंक ब्याज दर से अधिक नहीं वसूला जा सकता। इसके विपरीत शहर में लायसेंस लिए बगैर भी यह गोरखधंधा चल रहा है और इक्का दुक्का ने लायसेंस लिए भी हैं तो वे मोटा ब्याज वसूल रहे हैं।-निप्र

एसपी डॉ जीके पाठक से जवाब मांगते सवाल

शहर में ब्याजखोरों ने मनमानी कर रखी है।

जवाब : शिकायत प्राप्त होने पर दोषियों पर कार्रवाई की जाती है। इसके लिए एक नई डेस्क भी आरंभ की है और शिकायतकर्ता सोशल साइट फेसबुक पर भी अपनी शिकायत दर्ज कर सकता है। इसकी मॉनीटरिंग मैं व एएसपी कर रहे हैं।

ब्लैंक चेक लेकर पीड़ित पर दबाव बनाया जाता है।

जवाब : पीड़ित को भी चाहिए कि वह सूदखोरों के जाल में न फंसे। कई बार जरूरतमंदों का फायदा उठाया जाता है। शिकायत मिलने पर कार्रवाई के बाद न्याय दिलाने का पूरा प्रयास किया जाता है।

कई मामलों में तो पुलिसवालों के करीबी ही इसमें लिप्त हैं।

जवाब : ऐसे मामले भी मेरे सामने आए हैं, इनमें जांच की जाएगी और कर्मचारियों की संलिप्तता मिलने पर ठोस कार्रवाई होगी।

जमा राशि का सबूत नहीं देते फिर पीड़ित क्या करे।

जवाब : आरोपी कभी सबूत नहीं देता। शहर में 10 व 20 फीसद का गोरखधंधा है उसमें शातिर लोग शामिल है। इस संबंध में पीड़ित सीधे हमसे संपर्क कर शिकायत कर सकते हैं।

5 आरोपी 20 तकरिमांड पर

रतलाम। सूदखोरों से परेशान एक प्रॉपर्टी ब्रोकर व मसाला विक्रेता युवक द्वारा जहर खाने के मामले में पुलिस ने गिरफ्तार 4 आरोपियों को शुक्रवार को न्यायालय में पेश किया। न्यायालय ने चारों आरोपियों को 20 जुलाई तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। मामले के पांच अन्य आरोपी अभी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ सके हैं।

ज्ञातव्य है कि गुरुवार दोपहर संदीप पिता सुजानमल जैन (34) निवासी दीनदयाल नगर ने सूदखोरों से परेशान होकर जहरीला पदार्थ का खा लिया था। जिला अस्पताल में उसके बयान के आधार पर पुलिस ने नौ आरोपियों के खिलाफ भादंवि की धारा 327 व मप्र ऋणियों का संरक्षण अधिनियम 1937 की धारा 3 बटा चार के तहत प्रकरण दर्ज किया था। पुिलस ने धर्मेंद्र पिता नरेशचंद्र जायसवाल (45) निवासी ईदगाह रोड, जिनेंद्रकुमार उर्फ जीनू पिता ब्रजलाल जैन (38) निवासी श्रीमाली वास, हितेश उर्फ कालू पिता रामचंद्र (37) निवासी बाजना बस स्टैंड व विजय उर्फ विजय सेठ पिता माणकलाल जैन (52) निवासी सागौद रोड को गिरफ्तार कर शुक्रवार को न्यायालय में पेश किया। आरोपियों की तरफ से जमानत याचिका को खारिज कर न्यायालय ने आरोपियों को 20 जुलाई तक पुलिस रिमांड पर भेजने के आदेश जारी किए हैं।

ये हैं फरार

सूदखोरी के मामले में पुलिस को आरोपी संजय कौशल निवासी धीरजशाह नगर, शेखर यादव निवासी तोपखाना, सत्तू निवासी धानमंडी, सचिन निवासी डोंगरेनगर एवं भुरू गवली निवासी टाटा नगर की तलाश है। शुक्रवार रात तक इसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी। -

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